उन्होंने कहा कि सरकार ने यूं तो स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया जैसे कई कार्यक्रम युवाओं को लक्षित करके चलाए हैं, लेकिन यह सिर्फ कागजों पर रह गए हैं। एक भी युवक को इन योजनाओं के तहत अब तक रोजगार नहीं मिला है। इस पर सत्ता पक्ष की ओर से कुछ सदस्यों ने चुटकी लेते हुए कहा कि केवल राहुल गांधी ही एक ऐसे हैं जिन्हें रोजगार नहीं मिला है। इसी बीच विपक्ष के कुछ सदस्यों ने गांधी का समर्थन करते हुए कहा कि मोदी सरकार को अब ‘वाइंड अप इंडिया’ कार्यक्रम भी चला लेना चाहिए। इस पर सदन ठहाकों से गूंज उठा।
तेल की घटी कीमतों का लोगों को फायदा क्यों नहीं पहुंचा राहुल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की घटी कीमतों का हवाला देते हुए कहा कि 2008 में तेल की कीमतें 110 डॉलर प्रति बैरल थीं जो अब घटकर 45 डॉलर प्रति बैरल पर आ चुकी हैं। खुद सरकार ने माना है कि इससे उसे दो लाख करोड़ रुपए की बचत हुई है। मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि तेल की घटी कीमतों और उससे बचे पैसों का फायदा आम जनता और किसानों तक क्यों नहीं पहुंचा? ये पैसे आखिर कहां गए? उन्होंने कहा कि सरकार ने उद्योगों के लिए 52 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया है, लेकिन किसानों पर यह मेहरबानी क्यों नहीं दिखाई? उन्होंने कहा कि मोदी चाहे जो कार्यक्रम चलाना हैं, चलाएं, बस इतना बता दें कि दालों, आलू और टमाटर की कीमतें कब घटेंगी? लोगों को महंगाई से राहत आखिर कब मिलेगी?
चौकीदारी कांग्रेस वालों पर छोड़ दो राहुल ने कहा कि मोदी ने यूपी में अपने भाषण में कहा था कि मुझे प्रधानमंत्री मत बनाओ, चौकीदार बनाओ। लेकिन अब आप बड़े आदमी बन गए हैं, चौकीदारी हम पर छोड़ दें। कांग्रेसवालों पर छोड़ दें। भाषण की शुरुआत में राहुल ने कहा कि मोदी ने अपने भाषण में कहा था। घर में चूल्हा नहीं जलता, मां बच्चे रात-रात भर रोते हैं, आंसू पीकर सोते हैं। महंगाई को काबू किया जाएगा। वाह क्या लाइन थी, लेकिन महंगाई कम नहीं हुई।