scriptSupreme Court से बाबा रामदेव को राहत, न्यायाधीश बोले- योग में आपका अहम योगदान, लेकिन ये मामला अलग | Relief to Baba Ramdev from Supreme Court Judge said Your contribution is important in Yoga but this matter is different patanjali | Patrika News
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Supreme Court से बाबा रामदेव को राहत, न्यायाधीश बोले- योग में आपका अहम योगदान, लेकिन ये मामला अलग

सुप्रीम कोर्ट में आज पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से जुड़े मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण भी पेश हुए।

नई दिल्लीMay 14, 2024 / 04:29 pm

Paritosh Shahi

देश की सर्वोच्च अदालत ने पंतजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव को राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण को अगले आदेश तक पेशी से छूट दे दी। सर्वोच्च अदालत ने योग के क्षेत्र में बाबा रामदेव के योगदान की भी तारीफ की है और कहा कि इस क्षेत्र में आपने अतुल्यनीय काम किया है, लेकिन ये मामला अलग है। हालांकि, दोनों पर अदालत की अवमानना का मुकदमा चलेगा या नहीं, इस पर सर्वोच्च अदालत में जज हिमा कोहली और जज अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद द्वारा अपनी दवाओं के लिए भ्रामक दावों को लेकर योगगुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना मामले पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पतंजलि को कहा कि जिन दवाओं के लाइसेंस सस्पेंड किए गए हैं, उन्हें दुकान पर बेचने से रोकने और उनको वापस लाने को लेकर उनकी तरफ से क्या कदम उठाए गए हैं, इसे लेकर एक हलफनामा दायर करें।
पतंजलि आयुर्वेद के बाद शीर्ष अदालत ने आईएमए को भी फटकार लगाई। आईएमए चीफ के साक्षात्कार को लेकर अदालत ने कहा है कि इस बात से वे बिल्कुल खुश नहीं है और इतनी आसानी से माफी नहीं दी जा सकती।
आईएमए चीफ आर वी अशोकन की तरफ से दिए गए इंटरव्यू पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी है। जज हिमा कोहली ने कहा, “डॉक्टर अशोकन आपके अनुभव वाले व्यक्ति से हमने और जिम्मेदार रवैया रखने की उम्मीद थी।” जज अमानुल्लाह ने कहा, “आपको अचानक जाने के लिए मजबूर क्यों होना पड़ा…। आप ऐसा कैसे कर सकते हैं।”

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण की “बिना शर्त और अयोग्य माफी” को खारिज कर दिया था और पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट को दिए गए आश्वासन के उल्लंघन पर कड़ी आपत्ति जताई थी। पतंजलि ने पहले सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वह अपने उत्पादों की औषधीय प्रभावकारिता का दावा करने वाला कोई भी बयान नहीं देगी या कानून का उल्लंघन करते हुए उनका विज्ञापन या ब्रांडिंग नहीं करेगी और किसी भी रूप में मीडिया में चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ कोई बयान जारी नहीं करेगी।

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