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Roop Chaturdashi 2021 : कई नामों से जानी जाती है रूप चतुर्दशी, जानिए इस पर्व का महत्व और पौराणिक कथा

Roop Chaturdashi 2021 : रूप चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के अलावा यम चतुर्दशी, रूप चौदस, काली चौदस और छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है।

नई दिल्लीNov 02, 2021 / 07:58 am

विकास गुप्ता

Roop Chaturdashi 2021 : कई नामों से जानी जाती है रूप चतुर्दशी, जानिए इस पर्व का महत्व और पौराणिक कथा

Roop Chaturdashi 2021 : कई नामों से जानी जाती है रूप चतुर्दशी, जानिए इस पर्व का महत्व और पौराणिक कथा

Roop Chaturdashi 2021 : दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण, हनुमान जी, यमराज और मां काली के पूजन का विधान है। इसे नरक चतुर्दशी के अलावा यम चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी, रूप चौदस और छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन सौन्दर्य और आयु प्राप्ति होती है। इस दिन यमराज की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, आज के दिन भगवान कृष्ण की उपासना भी की जाती है क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था। इस साल नरक चतुर्दशी 03 नवंबर को मानाई जाएगी। आइए जानते हैं इस जानें इस पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में ।

नरक चतुर्दर्शी की कथा-

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। कहा जाता है कि नरकासुर ने 16 हजार कन्याओं को बंधक बना लिया था। नरकासुर के अत्याचारों से परेशान होकर देवताओं ने भगवान श्री कृष्ण से मदद मांगी। भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर उसके आतंक से मुक्ति दिलाई। इसके बाद नरकासुर के बंधन से मुक्त कराई गई कन्याओं को सामाजिक मान्यता दिलवाने के लिए भगवान कृष्ण ने सभी को अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार किया। नरकासुर का वध और १६ हजार कन्याओं के बंधन मुक्त होने की खुशी में दूसरे दिन यानि कार्तिक मास की अमावस्या को लोगों ने अपने घरों में दीये जलाए और तभी से नरक चतुर्दशी और छोटी दिवाली का त्योहार मनाया जाने लगा। इस दिन नरक की यातनाओं की मुक्ति के लिए कूड़े के ढेर पर दीपक जलाया जाता है। इस दिन को नरकचौदस के नाम से जाना जाता है।

अन्य कथाएं –
देश की कुछ जगहों पर इस दिन हनुमान जंयती भी मनाई जाती है। रामायण के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास चतुर्दशी पर स्वाति नक्षत्र में हुआ था। इस मान्यता के अनुसार इस दिन हनुमान जंयती मनाई जाती है। हालांकि कुछ और प्रमाणों के आधार पर हनुमान जयंति चैत्र पूर्णिमा के दिन भी माना जाता है।

– नरक चतुर्दशी को रूप चौदस भी कहा जाता है। इस दिन तिल के तेल से मालिश करके, स्नान करने से भगवान कृष्ण रूप और सौन्दर्य प्रदान करते हैं।

– नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम से आटे का चौमुखी दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से यमराज अकाल मृत्यु से मुक्ति प्रदान करते हैं तथा मृत्यु के बाद नरक की यातनाएं नहीं भोगनी पड़ती हैं। इस दीपक को यम दीपक कहा जाता है।

– नरक चतुर्दशी के दिन मध्य रात्रि में मां काली का पूजन करने का विधान है। इसे बंगाल प्रांत में काली चौदस कहा जाता है।

इस पर्व का महत्व –
नरक चतुर्दर्शी के दिन यमराज की पूजा की जाती है। इस दिन संध्या के समय दीप दान करने से नरक में मिलने वाली यातनाओं, सभी पाप सहित अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। इस दिन पूजा और व्रत करने वाले को यमराज की विशेष कृपा भी मिलती है।

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