गोटबाया ने इसपर जानकारी देती हुए कहा, ‘मैं CEB अध्यक्ष के आरोपों से इनकार करता हूँ। मैंने ऐसे किसी भी विशिष्ट संस्था को मन्नार का प्रोजेक्ट देने के लिए नहीं कहा था।’ हालांकि, ये खबर भारत में आग की तरह फैल गई और विपक्ष ने मौका देख बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया। राहुल गांधी ने लिखा, ‘BJP की उद्योगपतियों को फ़ायदा पहुँचाने की नीति अब श्रीलंका तक चली गई है।’
दरअसल, श्रीलंका के सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (CEB) के अध्यक्ष एमएमसी फर्डिनेंडो ने कोलंबो में एक संसदीय पैनल के सामने ये गवाही दी कि उन्हें राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने बताया था कि कैसे भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने अडानी समूह को काम दिलाने के लिए दबाव डाला था। उनके इस बयान से जुड़ी वीडियो क्लिप भी सामने आई है। इसमें वो कह रहे हैं कि 24 नवंबर 2021 को राष्ट्रपति ने एक बैठक के बाद मुझे बुलाया था और कहा था कि भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने अडानी समूह को 500 मेगावाट के रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट देने के लिए दबाव बना रह हैँ।
अधिकारी ने ये जवाब पैनल के उस सवाल पर दिया जिसमें पूछा गया था कि उन्होंने क्यों इस प्रोजेक्ट के लिए अडानी समूह को चुना। इस मामले पर विवाद बढ़ता देखा CEB के अधिकारी ने भी अपने ही बयान से यू टर्न ले लिया है। उन्होंने कहा कि भावना से उबरने के बाद झूठ कहा था।
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श्रीलंका में अडानी समूह की उपस्थिति बढ़ीगौरतलब है कि बीते कुछ वर्षों में अडानी समूह श्रीलंका में अपनी उपस्थिति को बढ़ा रहा है। बीते वर्ष ही इस समूह ने कोलंबो बंदरगाह के पश्चिमी कंटेनर टर्मिनल को विकसित करने का कांट्रैक्ट 51% हिस्सेदारी के साथ हासिल किया था। इस वर्ष इस समूह ने दो रिन्यूवेबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स, एक मन्नार और दूसरा पूनेरिन में हासिल किया है। ऐसे में अडानी समूह को लेकर श्रीलंका के अधिकारी का ये बयान कई सवाल खड़े करता है।