हम हैरान हैं कि किस तरह की याचिकाएं दाखिल की जाती हैं। ऑल इंडिया ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस फ्रंट और हेरिटेज बंगाल की याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट ब्रिटेन को हीरा नीलाम नहीं करने का आदेश दे। याचिका में कहा था कि भारत में सरकारों ने यूके से कोहिनूर को वापस इसकी मूल जगह लाने के लिए कोई कोशिश नहीं की, या की भी तो बहुत कम।
दिलीप से धोखे से जब्त कर लिया था सितंबर 2016 को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि कोहिनूर भारत का है इसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने महाराजा दिलीप सिंह से धोखे से जब्त किया। यह ब्रिटेन की महारानी को बतौर तोहफा नहीं दिया।
2013 में यूके ने देने से मना कर दिया था ब्रिटेन ने साल 2013 में कोहिनूर हीरा वापस देने की मांग को खारिज कर दिया था। कोहिनूर की कीमत 200 मिलियन डॉलर बताई जाती है।
वापस लाने के लिए संभावनाएं तलाश रहे केंद्र ने कहा है कि कोहिनूर को वापस लाने के लिए संभावनाएं तलाश रहे हैं, क्योंकि कानूनी रूप से ये संभव नहीं है। भारत-ब्रिटेन दोनों यूनेस्को संधि से बंधे हुए हैं, लेकिन भारत अंतरराष्ट्रीय कोर्ट नहीं जा सकता क्योंकि कोहिनूर को संधि से पहले ही ले जाया जा चुका था।