scriptलोकसभा में इन पार्टियों का नहीं खुला खाता, हार के बाद इन 5 क्षेत्रीय दलों के अस्तित्व पर आया संकट | These parties did not get single seat in Lok Sabha, after defeat existence of these 5 regional parties is in danger | Patrika News
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लोकसभा में इन पार्टियों का नहीं खुला खाता, हार के बाद इन 5 क्षेत्रीय दलों के अस्तित्व पर आया संकट

कुछ क्षेत्रीय दल ऐसे भी हैं जो हाशिए पर पहुंच गए हैं। इनमें पांच क्षेत्रीय दल ऐसे हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री दिए और बड़ी संख्या में सांसदों को संसद में भेजा, पर इस बार के लोकसभा चुनाव में शून्य पर आ गए और अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं। पढ़िए जग्गोसिंह धाकड़ की विशेष रिपोर्ट…

नई दिल्लीJun 08, 2024 / 09:29 am

Shaitan Prajapat

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव परिणाम भाजपा के लिए चौंकाने वाले रहे। किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। कम सीट आने के बाद भी भाजपा सरकार बना रही है, क्योंकि एनडीए के सांसदों का आंकड़ा बहुमत के अंक से ज्यादा है। भाजपा को यह संतोष है कि सत्ता से बाहर नहीं हुई। वहीं कांग्रेस 99 सीटें आने पर भी खुश है, क्योंकि पिछले चुनाव की तुलना में सीटें लगभग दोगुनी हो गई हैं। इसके अलावा क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी के लिए चुनाव परिणाम खुशी का पैगाम लेकर आए हैं। सपा 5 सीटों से 37 पर पहुंच गई है।

इन 5 क्षेत्रीय दलों के अस्तित्व पर आया संकट

इस बीच कुछ क्षेत्रीय दल ऐसे भी हैं जो हाशिए पर पहुंच गए हैं। इनमें पांच क्षेत्रीय दल ऐसे हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री दिए और बड़ी संख्या में सांसदों को संसद में भेजा, पर इस बार के लोकसभा चुनाव में शून्य पर आ गए और अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी के लिए लोकसभा के नतीजे विधानसभा चुनाव 2022 से भी खराब रहे हैं। विधानसभा में तो कम से कम पार्टी को एक सीट मिल गई थी, पर लोकसभा चुनाव में खाता खुलना तो दूर की बात है, किसी भी सीट पर बसपा दूसरे नम्बर पर भी नहीं रही।

बीजू जनता दल : 12 से शून्य पर

बीजू जनता दल की स्थापना 1997 में हुई थी। इसके बाद पहली बार बीजू पटनायक की पार्टी को लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। विधानसभा चुनाव में भी 2009 के बाद पहली बार पार्टी बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने में विफल रही। पटनायक, जो 24 वर्ष से अधिक समय तक ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे, उन्हें अब हटना होगा। लोकसभा चुनाव में, बीजद का वोट शेयर 2019 के 43.32 प्रतिशत से गिरकर 37.53 प्रतिशत रह गया है। पिछले चुनाव में बीजद ने कुल 21 सीट में से 12 सीटें जीती थीं, पर इस बार आंकड़ा शून्य पर आ गया। विधानसभा चुनाव में भी बीजद का वोट शेयर कम हुआ है। दोनों चुनावों में यह अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है। बीजद उन क्षेत्रीय दलों में से एक थी जो मतदाताओं पर प्रभाव रखती थी, लेकिन इस साल एक भी लोकसभा सीट जीतने में नाकामयाब रही।

बसपा की पकड़ खत्म

उत्तरप्रदेश में कभी दलितों की आवाज मानी जाने वाली बहुजन समाज पार्टी की राज्य पर पकड़ खत्म हो गई है। पार्टी चुनावों में अपना खाता खोलने में विफल रही और 10 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर खोकर 9.39 प्रतिशत पर आ गई। 2019 में, उसने 19.43 प्रतिशत वोट शेयर के साथ लोकसभा में 10 सीटें हासिल की थीं, पर इस बार एक भी सीट नहीं जीत पाई।

बीआरएस: खाता खोलने में विफल

दक्षिण के राज्य तेलंगाना में चन्द्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) भी अपना खाता खोलने में विफल रही। 2019 के चुनाव में पार्टी ने 9 सीटें जीती थीं और 41.71 प्रतिशत मत हासिल किए थे। इस बार 16.68 प्रतिशत मत ही प्राप्त हुए हैं।

जेजेपी : निराशाजनक प्रदर्शन

जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने भी हरियाणा की सभी 10 सीटें हारकर निराशाजनक प्रदर्शन किया। पिछले 2019 के चुनाव में 4.9 प्रतिशत मत प्राप्त किए थे। इस बार 0.87 प्रतिशत मतों तक सिमट कर रह गई।

एआइएडीएमके : एक भी सीट नहीं

तमिलनाडु में अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआइएडीएमके) की स्थापना राजनीतिक दिग्गज एमजी रामचंद्रन ने की थी। तमिलनाडु में पार्टी ने जितने भी सीटों पर चुनाव लड़ा, सभी पर हार गई। 2019 में इस पार्टी को एक सीट मिली थी और 18.72 प्रतिशत मत मिले थे। इस बार 20.46 प्रतिशत मत मिले हैं, पर सीट एक भी नहीं।

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