शपथ ग्रहण कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हुए। त्रिवेंद्र रावत तीसरी बार विधायक बने हैं। इससे पहले 11 मार्च को राज्य की 70 विधानसभा सीटों पर घोषित हुए नतीजों में बीजेपी ने दो तिहाई बहुमत हासिल करते हुए 57 सीटों पर जीत दर्ज की थी। हरीश रावत की अगुवाई में कांग्रेस महज 11 सीटों पर सिमट गई थी।
त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद दूसरे नंबर पर सतपाल महाराज ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। पहले चर्चाएं थीं कि सतपाल महाराज को सीएम बनाया जा सकता है, लेकिन शुक्रवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक में सतपाल महाराज ने ही त्रिवेंद्र रावत के नाम का प्रस्ताव पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई थी।
सतपाल महाराज के बाद प्रकाश पंत, हरक सिंह रावत, मदन कौशिक, यशपाल आर्य, अरविंद पांडेय, सुबोध उनियाल ने भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली। रेखा आर्य और धन सिंह रावत ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली है।
कौन हैं त्रिवेंद्र सिंह रावत? त्रिवेंद्र सिंह रावत पौड़ी जिले के जयहरीखाल ब्लाक के खैरासैण गांव के रहने वाले हैं। 1960 में प्रताप सिंह रावत और भोदा देवी के घर त्रिवेन्द्र सिंह का जन्म हुआ। उनके पिता प्रताप सिंह रावत सेना की रुड़की कोर में सेवा दे चुके हैं। रावत का सेना से खासा लगाव है। उन्होंने कई शहीद सैनिकों की बेटियों को गोद ले रखा है।
त्रिवेंन्द्र रावत की पत्नी सुनीता स्कूल टीचर हैं और उनकी दो बेटियां हैं। त्रिवेंद्र सिंह नौ भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। रावत की शुरुआती पढ़ाई खैरासैण में ही हुई। त्रिवेन्द्र ने 10वीं की पढ़ाई पौड़ी जिले के सतपुली इंटर कॉलेज और 12वीं की पढ़ाई एकेश्वर इंटर कॉलेज से हासिल की।
त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने लैंसडाउन के जयहरीखाल डिग्री कॉलेज से स्नातक और गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से पीजी की डिग्री हासिल की। श्रीनगर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए करने के बाद त्रिवेन्द्र सिंह रावत 1984 में देहरादून चले गए। यहां भी उन्हें आरएसएस में अहम पदों की जिम्मेदारी सौंपी गई।
देहरादून में संघ प्रचारक की भूमिका निभाने के बाद त्रिवेन्द्र सिंह रावत को मेरठ का जिला प्रचारक बनाया गया। उत्तराखंड के गठन के बाद 2002 में भाजपा के टिकट पर कांग्रेस के वीरेंद्र मोहन उनियाल के खिलाफ उन्हें चुनाव मैदान में उतार दिया गया।
2002 में रावत ने डोईवाला से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2007 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से भाजपा ने रावत पर भरोसा जताया और वह राज्य विधानसभा पहुंचने में सफल हुए। हालांकि पिछले चुनाव में वे रायपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार से हार गए।
2017 के विधानसभा चुनाव में त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने फिर से डोईवाला विधानसभा से चुनाव लड़ा और इस बार उन्होंने कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट को करारी शिकस्त दी। त्रिवेंद्र सिंह रावत को पीएम मोदी और अमित शाह दोनों का करीबी माना जाता है।