फोरेंसिक विश्लेषकों को जांच में पता चला है कि इसी साल अगस्त में धारवाड़ में कन्नड़ लेखक एम एम कलबुर्गी की हुई हत्या में प्रयुक्त कारतूस का उन कारतूसों से मेल खाते हैं जो वामपंथी नेता गोविंद पानसरे की हत्या के बाद घटनास्थल से बरामद हुए थे। इस साल 16 फरवरी को कोल्हापुर में गोविन्द पानसरे और उनकी पत्नी को सुबह टहलते वक्त गोली मार दी गई थी। इलाज के दौरान गोविन्द पानसरे की अस्पताल में मौत हो गई थी।
7.65 MM कारतूस का इस्तेमाल
सबूतों से यह भी पता चल रहा है कि पुणे में साल 2013 में सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की हत्या से इसी गिरोह का सम्बंध जुड़ा हुआ है। इन तीनों बुद्धिवादियों का हत्या में एकसामान कारतूसों का इस्तेमाल किया जाना हत्या से जुड़े तारों का पहला भौतिक सबूत है। इन तीनों की हत्या में 7.65 एमएम के कारतूसों का इस्तेमाल किया गया था।
हत्या में दक्षिणपंथियों का सबूत
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार इस जांच को साबित करने के लिए अभी कोई सबूत नहीं मिले हैं लेकिन संदेह जताया जाता रहा है कि इनकी हत्या में उन दक्षिणपंथी दलों का हाथ है जो इनके विचारों से असहमत रहे हैं। कर्नाटक पुलिस के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक फोरेंसिक विश्लेषण में यह सामने आया है कि कलबुर्गी और पानसरे की हत्या मामले में जो कारतूस बरामद हुए हैं वे एकसमान हैं। यही समानता दाभोलकर मामले में भी है।
इन पर पुलिस को शक
कन्नड लेखक कलबुर्गी की हत्या के बाद महाराष्ट्र एटीएस द्वारा गिरफ्तार सनातन संस्था के सदस्य समीर गायकवाड़ से कर्नाटक पुलिस ने सांगली में पूछताछ की थी। पुलिस को उम्मीद थी कि कलबुर्गी और सामाजिक कार्यकर्ता दाभोलकर की हत्या में भी इसी गिरोह का हाथ हो सकता है, पर कोई सबूत हाथ नहीं लग रहा था। समीर को वामपंथी नेता पानसरे हत्याकांड में गिरफ्तार किया गया था। कर्नाटक पुलिस को समीर ने कई अहम जानकारियां दी थी। समीर से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने एक महिला समेत 4 लोगों को हिरासत में लिया था। पुलिस को समीर के पास तकरीबन 23 सिमकार्ड भी मिले थे।
Home / 71 Years 71 Stories / कलबुर्गी, पानसरे और दाभोलकर केस: एक ही तरह की BULLET से हुए तीनों मर्डर!