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भारत में पश्चिमी विक्षोभ का बदल रहा मिजाज, बाढ़ के खतरे के साथ – साथ जल आपूर्ति हुई प्रभावित

Weather News: वेदर एंड क्लाइमेट डायनेमिक्स जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, 70 साल पहले की तुलना में जून में उत्तर भारत में अब तेज तूफानों की आशंका दोगुनी हो गई है।

नई दिल्लीMar 19, 2024 / 08:47 am

Shivam Shukla

weather update

एक अध्ययन में सामने आया है कि उत्तर भारत में भारी बर्फबारी और बारिश लाने वाले शीतकालीन तूफान 70 साल पहले की तुलना में इस साल काफी देरी से आ रहे हैं, जिससे न केवल बाढ़ का खतरा बढ़ गया, बल्कि पानी की आपूर्ति पर भी असर पड़ा है। आमतौर पर पश्चिमी विक्षोभ दिसंबर से मार्च तक हिमालय में भारी बर्फबारी का कारण बनते हैं। यह बर्फ वसंत में धीरे-धीरे पिघलती है, जिससे नीचे की ओर रहने वाले लोगों और फसलों के लिए पानी उपलब्ध होता है।

क्यों हो रहा है यह बदलाव

-शोध टीम ने इस मौसमी बदलाव की वजह उपोष्णकटिबंधीय जेट स्ट्रीम में बदलाव को बताया है, जो एक उच्च ऊंचाई वाली वायु धारा है और पश्चिमी विक्षोभ को कंट्रोल करती है।

-ग्लोबल वार्मिंग भूमध्य रेखा और ध्रुवों के बीच तापमान के अंतर को कमजोर कर रही है, जो आमतौर पर गर्मियों में जेट स्ट्रीम को उत्तर की ओर खींचता है। जिससे सर्दियों के बर्फीले मौसम के बाद उत्तर भारत में और अधिक तूफान आने के आसार हैं।

-मानसून से पहले पडऩे वाली गर्मी में, देर से आने वाले ये तूफान बर्फ के बजाय भारी बारिश लाते हैं, जिससे विनाशकारी बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। इस बीच, क्षेत्र के गर्म होने के कारण सर्दियों में बर्फबारी कम हो रही है।

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