नीमच

बिछड़ों को मिला देता है आधार नंबर, मूकबधिर बच्चे को मिल गया अपना परिवार

तीन माह से परिवार से दूर था यह बालक, आधार नंबर से ऐसे मिल गया…।

नीमचAug 12, 2022 / 05:52 pm

Manish Gite

नीमच। न बोल सकता था न सुन सकता था। यह बालक पिछले कुछ दिनों से अपने परिवार से दूर रह रहा था। यह अपने परिवार से बिछड़कर नीमच के स्टेशन के पासघूमते हुए नजर आया था। उसकी पहचान नहीं हो पाने के कारण रेडक्रास आश्रम गृह (redcross ashray kendra neemuch) में रह रहा था। रक्षाबंधन (raksha bandhan) के दिन इस बालक के लिए खास रहा, यह अपने परिवार के पास पहुंच गया। उसे परिवार से मिलाने में स्थानीय लोगों ने तो मदद की, लेकिन सबसे अहम मदद उसके ‘आधार कार्ड’ (aadhar card) ने कर दी।

 

रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा संचालित मूक बधिर आश्रम गृह (किलकारी) में एक बालक अपने आधार कार्ड की वजह से परिजन तक पहुंचने में सफल रहा। पिछले साढ़े 3 महीने से आश्रय गृह में रह रहे बालक के परिजनों का कोई पता नहीं लग रहा था।

रेडक्रॉस आश्रय गृह में पिछले साढ़े 3 माह से रह रहे एक मूक बधिर बालक के लिए रक्षाबंधन का त्यौहार खुशियां लेकर आया। रेडक्रॉस आश्रय गृह के अधीक्षक प्रमोद कटारा ने बताया कि करीब साढ़े तीन माह पहले मंदसौर जिले के ग्राम पाली से नारायणगढ़ थाना क्षेत्र की बूढ़ा पुलिस चौकी को बालक घूमता मिला था। बालक को बाल कल्याण समिति मंदसौर में पेश किया गया था, 9 मई 22 को रेडक्रॉस आश्रय गृह नीमच भेजा गया। बालक को नया नाम ‘अनिल’ दिया गया।

 

 

गुमशुदा की तलाश में मददगार आधार

करीब साढ़े 3 माह बीतने पर भी जब परिजनों का पता नहीं चला तो रेडक्रास की टीम ने आधार कार्ड बनाने का निर्णय लिया। भागवंती कुमरावत और लेखापाल मुकेश नागोरा के सहयोग से आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई।

तब बताया कि बालक का आधार कार्ड बना हुआ है। मनोज राठौर वह मनीष धनगर ने आधार कस्टमर केयर दिल्ली से संपर्क किया और फिंगरप्रिंट और रेटीना रिपोर्ट के आधार पर जानकारी जुटाई। पता चला कि बालक का नाम ’नानू’ है। झुवाफाल जिला बांसवाड़ा राजस्थान का रहने वाला है। रेडक्रॉस टीम ने परिजनों की तलाश की गई। परिजनों को देख बालक फूट-फूटकर रो पड़ा। भाई कालू मईडा, चाचा सेवालाल और चचेरा भाई रामलाल पहुंचे थे। राखी के एक दिन पहले अपने परिजनों से मिलकर बालक बहुत खुश और प्रसन्न दिखाई दे रहा था।

मप्र में होने की नहीं थी उम्मीद

बालक के चाचा ने बताया कि नानू छोटा था तभी उसके माता-पिता की मौत हो गई थी। नानू मूक बधिर होने से पढ़ाई नहीं कर सका। नानू के लापता होने पर आसपास के गांव और क्षेत्रों में उसकी काफी तलाश की गई। 7 दिन बाद जब सब दूर से निराशा हाथ लगी तब पुलिस थाना दानपुर में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई थी। हमें उम्मीद ही नहीं थी कि बालक मध्य प्रदेश में होगा। आधार कार्ड की वजह से उसका पता चलना हमारे लिए बहुत सुखद रहा।

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