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नीमच

ऐसा क्या हुआ जो ठेठ गांव से कलेक्टर के पास पहुंच गए दर्जनों बच्चे

-बारिश में भीगते नाला पार कर दूसरे गांव जाने को मजबूर- कहीं कोई नहीं सुनता गुहार

नीमचJul 16, 2018 / 10:38 pm

harinath dwivedi

heare no available for chiled right to education

ऐसा क्या हुआ जो ठेठ गांव से कलेक्टर के पास पहुंच गए दर्जनों बच्चे

नीमच. जिले के 45 गावों के बच्चे पिछले एक पखवाड़े से दुखी हो रहे हैं। उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। पहले जो सुविधा थी अब वह पड़ोस के गांव में पहुंचा दी गई, इनकी किसी को परवाह ही नहीं। बारिश का समय, बड़े नालों को पार कर दूसरे गावों तक जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। गांव के जिम्मेदारों से लेकर अधिकारियों तक के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है। दुखी बच्चे सोमवार को गांव से कलेक्टोरेट पहुंच गए।
पिछले सप्ताह कांग्रेस ने किया था स्कूल बंद करने के निर्णय का विरोध-
करीब एक पखवाड़ा हो गया, शिक्षा विभाग ने उन स्थानों पर शासकीय प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल बंद करने का निर्णय लिया है जहां पर बच्चों की संख्या बहुत कम है, या बच्चे पढऩे नहीं जाते हैं। जिले में ऐसे 45 स्कूलों को बंद कर पड़ोस के गांव के स्कूल में मर्ज कर दिया गया। जबकि कई गांव ऐसे हैं जहां पर बच्चों की संख्या पर्याप्त है फिर भी स्कूल बंद किए गए हैं। ऐसे में बच्चों के अभिभावकों के साथ कांग्रेस कार्यकर्ता कलेक्टोरेट में धरने पर बैठ गए थे। यहां पर उन्होने प्रशासन के अधिकारियों और जिला शिक्षा अधिकारियों के सामने कहा था कि बच्चे नहीं आते हैं तो उन्हें और अभिभावकों को जागरुक करने की जिम्मेदारी निभाकर स्कूलों को चलने लायक बनाया जाना चाहिए। स्कूल बंद करने से बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे हैं। कुछ गावों से दूसरे गावों में बच्चों को आने व जाने के लिए गहरे नाले पार करने पड़ेंगे कोई घटना होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। तब अधिकारियों ने दोबारा आदेश का परीक्षण करवाने का आश्वासन देकर मामला टाल दिया था।
बच्चे और अभिभावक भी पहुंचे कलेक्टोरेट-
गुलाबखेड़ी गांव के बच्चे और अभिभावक स्कूल बंद करने के निर्णय के खिलाफ सोमवार को कलेक्टोरेट में पहुंचे। यहां पर कलेक्टोरेट गेट पर वे धरने पर बैठ गए। इस दौरान बच्चे और अभिभावक अपनी मांग के समर्थन में नारेबाजी करने लगे। तब भीतर से दौड़कर नायब तहसीलदार जाबिर हुसैन और मुकेशकुमार आए और नारेबाजी बंद करने की बात कही। इस पर कांग्रेस नेता दिग्विजयसिंह आमलीखेड़ा ने उनसे कहा कि जिस गांव में ३० से अधिक बच्चे हैं वहां का स्कूल बंद करने का निर्णय क्यों लिया गया। इन बच्चों का क्या कसूर है जो इन्हें पढ़ाई से वंचित किया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि इस बारे में रास्ता निकाला जाएगा। तब दिग्विजयसिंह ने कहा कि सत्र शुरू हो गया है आखिर बच्चे कब तक यहां वहां घूमते रहेंगे। अधिकारियों को बुलाकर चर्चा करने की उन्होने मांग की। तब नायब तहसीलदार और अन्य अधिकारी वापस लौट गए, कुछ देर बाद संयुक्त कलेक्टर वीपी सिंह बाहर आए। उन्हें बच्चों ने ज्ञापन दिया। जिसमें बताया गया कि गुलाबखेड़ी के प्राथमिक विद्यालय को प्राथमिक विद्यालय मूंडला में समायोजित कर दिया गया है। विद्यालय की समस्या अध्यापक को लेकर थी जिसे बिना जाने ही विभाग ने बंद कर दिया। शिक्षक एक किमी दूर गांव से आते हैं, जो पूर्ण समय नहीं दे पाते हैं। जिसके कारण विद्यालय में पढ़ाई नहीं होती है और बच्चे घर चले जाते हैं। ज्ञापन में यह भी बताया गया कि गुलाबखेड़ी गांव के अंतर्गत ३५ से अधिक बच्चों की सूची शिक्षा विभाग को सौंपी थी लेकिन ८ दिन बाद भी स्कूल चालू करने के बारे में कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। इसी शैक्षणिक सत्र में बच्चों का विद्यालय पुन: प्रारंभ करने और शिक्षकों की पर्याप्त व्यवस्था करने की मांग की है। अधिकारी वीपी सिंह ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
इस मौके पर भूपेंद्र पाटीदार, मनोहर गुर्जर, वीरेंद्र सिंह, बलवंत सिंह सहित कांग्रेस कार्यकर्ता, बच्चों के अभिभावक एवं बड़ी संख्या में स्कूल के बच्चे मौजूद थे।
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