कक्षा अधिकतम भार
1 से 2 —- 1.5 किलो
3 से 5 —- 2 से 3 किलो
6 से 7 —- 4 किलो
8 से 9 —- 4.5 किलो
10 —- 5 किलो
बस्ते के बोझ तले दबा मासूम बचपन
उपसचिव ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि राज्य शासन द्वारा निर्धारित एवं एनसीईआरटी द्वारा नियत पाठ्यपुस्तकों से अधिक पुस्तकें विद्यार्थियों के बस्ते में नहीं होना चाहिए, जबकि हो इसके उलट रहा है। निजी शिक्षण संस्थाएं एनसीईआरटी के अतिरिक्त भी कमीशन के लालच में अन्य पुस्तकों का भार बच्चों पर डाल रहे हैं। कक्षा पहले व दूसरी में अधिकतम डेढ़ किलो बस्ते का वजन रखने के आदेश जारी हुए है। यह आदेश मजाक लगता है। इन कक्षाओं की एक एक पुस्तक का वजन ही 400 ग्राम से 800 ग्राम तक है। जब सिलेबस की 1200 से 1400 रुपए का आ रहा है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी अधिक पुस्तकें होंगी। इससे बड़ी कक्षाओं में तो एक पुस्तक की एक से डेढ़ किलो की होती है। निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चे बस्तों के भार का अहसास तब होता है तब परिजन उसे अपने कंधों पर लादकर ले जाते हैं। ऑटो से उतरने के बाद क्लासरूम तक पहुंचने में बच्चों के पसीने छूट जाते हैं। कई स्कूलों में एक और दो मंजिल तक बच्चों को भारी बस्तों के साथ चढऩा पड़ता है। वहां भारी बस्तों की वजह से हादसे की आशंका भी बनी रहती है।
तीन जुलाई 19 को शिक्षा विभाग के उपसचिव प्रमोदसिंह ने एक आदेश जारी किया है। आदेश में बच्चों को बस्ते के बोझ से छुटकारा दिलाने के निर्देश सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी किए गए हैं। उपसचिव ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के 5 अक्टूबर 2018 पत्र मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के परिप्रेक्ष्य में प्रदेश के समस्त शासकीय, अशासकीय और अनुदान प्राप्त शालाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों के बस्ते का वजन कम करने के लिए आदेश जारी किए हैं।
बच्चों के बस्तों का भार कम करने के लिए यदि कोई आदेश जारी हुआ है तो यह केवल आदेश बनकर न रह जाए। इसका सख्ती से पालन भी कराया जाना चाहिए।
– डिम्पल मोगरा, गृहिणी
शिक्षा विभाग के उपसचिव का आदेश बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए बेहतर माना जा सकता है, लेकिन शिक्षा के व्यवसायीकरण में आदेश पर अमल होना नामुमकिन लगता है।
– किशोर जेवरिया, समाजसेवी
मैंने अभी उपसचिव शिक्षा विभाग के आदेश को देखा नहीं है। आदेश देखने के बाद उसपर अमल किया जाएगा।
– केएल बामनिया, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी
रीड की हड्डी में हो सकती है स्थाई समस्या
अब तक हुए शोध के आधार पर ही शासन ने बच्चों के बस्तों का वजन कम करने का निर्णय लिया होगा। शिक्षा विभाग का यह आदेश स्वागत योग्य है। इस आदेश पर अमल जल्द होना चाहिए। अत्यधिक वजन के बस्ते से बच्चों की रीड़ की हड्डी में स्थाई समस्या हो सकती है। कंधों में लगातार दर्द बना रह सकता है। मांसपेशियों में दर्द की शिकायत रह सकती है। कमर की हड्डी के आकार में स्थाई रूप से बदलाव आ सकता है। बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए यह आदेश अच्छा है।
– डा. दीपक सिंहल, हड्डी रोग विशेषज्ञ