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यहां उपचार के लिए ढ़ाई किलोमीटर चलते हैं मरीज

– चिकित्सक के अभाव में मरीजों को जाना पड़ रहा ढाई किमी दूर- विधायक के गृह क्षेत्र में ही नहीं चिकित्सक की सुविधा

नीमचFeb 21, 2018 / 11:17 pm

harinath dwivedi

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नीमच. नीमच सिटी में २० सीटर शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की गई थी, ताकि नीमच सिटी के रहवासियों खासकर महिलाओं को उपचार के लिए अन्यत्र नहीं भटकना पड़े, क्योंकि जिला चिकित्सालय भी यहां से करीब दो ढ़ाई किलोमीटर दूर पड़ता है। लेकिन पिछले आठ माह से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केवल स्टॉफ नर्स के भरोसे चल रहा है। क्योंकि यहां पिछले आठ माह से चिकित्सक की कुर्सी खाली पड़ी है।
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत नीमच सिटी वासियों को शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की सौगात वर्ष २०१५ में प्रदान की गई थी। साल दो साल तो यहां के रहवासियों को चिकित्सा सुविधा का भरपूर लाभ मिला, लेकिन अगस्त २०१७ में जैसे ही यहां पदस्थ चिकित्सक रिटायर्ड हुए, तो पूरे स्वास्थ्य केंद्र का जिम्मा स्टॉफ नर्स के कंधों पर आ गया। ऐसे में वे सामान्य बीमारियों के मरीजों का प्राथमिक उपचार तो कर देती हैं। लेकिन बीपी, शुगर सहित अन्य बड़ी बीमारियों से पीडि़त मरीजों को जिला चिकित्सालय रेफर करना उनकी मजबूरी हो जाती है। लेकिन इस ओर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं हैं।
पत्रिका ने जब शनिवार को नीमच सिटी स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के हालातों पर नजर डाली तो हालात आश्चर्य जनक नजर आए। क्योंकि यहां पर जहां एक और चिकित्सक की कुर्सी खाली पड़ी थी, तो वहीं दूसरी ओर स्टॉफ नर्स द्वारा मरीजों को देखा जा रहा था, हालांकि स्टॉफ नर्स कभी अनुभवी होने के कारण वे बुखार, सर्दी-जुकाम, छोटी मोटी चोट, उल्टी दस्त आदि के मरीजों को देखकर दवाईयां दे देती है। लेकिन जब ब्लड प्रेशर, शुगर या गंभीर रूप से घायल मरीज पहुंचते हैं। तो वे केवल जांच कर उन्हें रेफर कर देती है। इसके चलते जहां मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, वहीं मरीजों के आंकड़ों में भी गिरावट नजर आई है।
जानकारी के अनुसार अप्रैल २०१५ में नगरपालिका के सामुदायिक भवन में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किया गया था, ताकि नीमच सिटी के सैंकड़ों रहवासियों को उपचार के लिए अन्यत्र नहीं भटकना पड़ेगा। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक, स्टॉफ नर्स, फर्मासिस्ट, वार्ड बाय आदि के पद थे। हालांकि शुरूआत में चिकित्सक भी तैनात थे, वहीं अगस्त २०१७ तक डॉ ओपी ओझा ने भी सेवाएं दी, लेकिन उनके रिटायर्ड होने के बाद से आज तक यहां पर कोई दूसरा चिकित्सक तैनात नहीं किया गया। ऐसे में यहां पर आने वाले मरीजों की तादात में भी निरंतर गिरावट आती गई। जानकारी के अनुसार पहले यहां हर माह करीब १००० से १२०० मरीज पहुंचते थे, लेकिन अब यहां हर माह ४०० से ४५० मरीज ही पहुंच रहे हैं।
माह मरीजों की संख
अक्टूबर ४०६
नवंबर ४१८
दिसंबर ४०८
जनवरी ४९३
पानी की समस्या, मुख्य द्वार पर नहीं गेट
वैसे तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुलने का समय दोपहर १२ बजे से रात ८ बजे तक हैं। लेकिन स्वास्थ्य केंद्र परिसर के मुख्य द्वार पर गेट नहीं होने के कारण चिकित्सालय परिसर में ही असामाजिक तत्वों का डेरा डल जाता है। ऐसे में केवल महिला स्टॉफ को स्वास्थ्य केंद्र पर बैठना किसी चुनौती से कम नहीं रहता है। क्योंकि स्टॉफ नर्स के अलावा यहां एक बाई भी है, इस कारण यहां शाम ६ बजे ही ताले लटक जाते हैं। जिसका खामियाजा सिटी के मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। वैसे तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुले तीन वर्ष होने आए गए हैं। लेकिन यहां पेयजल समस्या होने के कारण काफी दिक्कतें होती है। यहां जैसे तैसे समीप स्थित बगीचे के नल से पानी लाया जाता है, वह नल भी दो तीन दिन में एक आधी बार चलने के कारण दिक्कत होती है।
विधायक के गृह नगर में नहीं चिकित्सक
आश्चर्य की बात है कि जिस क्षेत्र में विधायक स्वयं निवास करते हैं, वहां स्थित स्वास्थ्य केंद्र में ही चिकित्सक नहीं हैं। यहां के रहवासियों ने बताया कि चिकित्सक नहीं होने के कारण हमें यहां से जिला चिकित्सालय जाना पड़ता है। ऐसे में कोई साधन नहीं होने पर १००-५० रुपए ऑटो रिक्शा के भी लग जाते हैं।
डॉ ओपी ओझा अगस्त २०१७ में रिटायर्ड हो गए थे, इस संबंध में अधिकारियों को अवगत करा रखा है। वैसे तो छोटी मोटी बीमारियों के मरीजों को दवा दे देते हैं। लेकिन चिकित्सक सहित अन्य स्टॉफ भी आ जाए तो निश्चित ही स्वास्थ्य केंद्र अच्छे से चलेगा और क्षेत्र के मरीजों को भी बेहतर स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।
-हेप्सी सिंह, स्टॉफ नर्स
यह समस्या हमारी जानकारी में हैं, हम शीघ्र ही यहां चिकित्सक की सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास में जुटे हैं।
-दिलीपसिंह परिहार, विधायक

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