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एक हजार की लागत में साढ़े तीन माह में कमाए ५० हजार

-चार आरी में बोई मार्च में तुराई, अभी तक मिल रहा उत्पादन-कम समय, उपलब्ध पानी व उन्नत खेती से हुए वारे न्यारे

नीमचJun 23, 2018 / 11:04 am

harinath dwivedi

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एक हजार की लागत में साढ़े तीन माह में कमाए ५० हजार

नीमच. जहां सरकार द्वारा वर्ष २०२२ तक किसान की आय पांच गुनी करने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं जिले के एक किसान ने अभी ही अपनी मेहनत, लगन और उचित मार्गदर्शन लेकर अपनी आय को पांच नहीं कई गुणा कर लिया है। उन्होंने मात्र चार आरी क्षेत्र में तुराई की खेती की, जिसमें जैविक खेती के कारण फसल का समय बीतने के बाद भी उन्हें उत्पादन प्राप्त हो रहा है।
बतादें की समीपस्थ ग्राम कनावटी के किसान प्रभुलाल धनगर ने मात्र ४५० रुपए के तुराई के बीज को मात्र चारी आरी यानि करीब पाव बीघा जमीन (करीब ८०० स्क्वायर फीट) में बोया था। जिसमें अन्य उर्वरक सहित करीब १ हजार रुपए का कुल खर्च अभी तक आया है। वहीं उन्होंने गौमूत्र और जीवामृत खाद (जैविक) का उपयोग किया, जो उन्हें स्वयं के खेत से ही मिल गया, क्योंकि गाय आदि पशु रहते ही हैं। इस कारण मात्र १ हजार रुपए की लागत में उन्होंने अभी तक ५० हजार रुपए की तुराई बेचकर पांच गुना क्या करीब पचास गुना लाभ कमाया है।
दो माह बाद भी खिल रहे फूल
कहते हैं की सब्जी की फसल का उपत्पादन दो माह बाद फिका पड़ जाता है। लेकिन गौमूत्र आदि जैविक उर्वरकों का उपयोग करने व समय समय पर कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेने के कारण दो माह बाद अभी भी धनगर के खेत में तुराई की फसल में फूल खिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि तुराई मार्च २०१८ में बोई थी, जिसमें मात्र ४५० ग्राम बीज लगा था, वहीं एक माह बाद अप्रैल से ही उत्पादन मिलना प्रारंभ हो गया। उन्होंने बताया कि वैसे तो यह फसल दो माह बाद समाप्त हो जाती है। लेकिन जैविक खेती के साथ ही कृषि विभाग की आत्मा योजना के तहत डॉ यतीन मेहता से मिले तकनीकि मार्ग दर्शन, प्रबंधन और उन्नत कृषि तकनीक अनुसार समय समय पर उर्वरकों का उपयोग करने पर अभी भी खेत में फूल लहलहा रहे हैं। जबकि उत्पादन लेते हुए ढाई माह से ऊपर हो गया है।
पानी भी देना पड़ता तीन दिन में एक बार
किसान प्रभुलाल धनगर ने बताया कि तुराई की खेती में विशेष पानी की आवश्यकता भी नहीं होती है। मैंने हर तीसरे दिन पानी दिया, वह भी उपयुक्त मात्रा में, जिससे भर गर्मी में भी भरपूर उत्पादन प्राप्त हुआ है।
वर्जन.
मैंने मार्च माह में ४५० रुपए का बीज बोया था, इसके अलाव अन्य उर्वरक भी जोड़ें तो कुल १ हजार रुपए अभी तक खर्च किए हैं। मैंने जैविक खेती का भी समावेश किया, जिसमें गौमूत्र आदि लगा, जिसका कोई खर्च नहीं आया, मैंने अभी तक करीब ५० हजार रुपए की तुराई बेच दी है। वहीं फसल में अभी भी उत्पादन प्राप्त हो रहा है।
-प्रभुलाल धनगर, किसान, कनावटी
किसान को नियमित मार्गदर्शन दिया जाता है। गौमूत्र व जीवामृत का भी स्प्रे करवाया था, जिससे किसी प्रकार की बीमारी फसल को नहीं लगती है। साथ ही अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है। किसानों को चाहिए कि खेती में जब भी कोई समस्या आए वे तुरंत सम्पर्क करें, उन्हें उचित सलाह दी जाएगी।
-डॉ यतीन मेहता, उप परियोजना संचालक, आत्मा
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