एक्यूआई को चार वर्गों में बांटा
पर्यावरण मंत्री गोपाल ने कहा कि इस बार कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) की तरफ से ग्रेप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) में कुछ परिवर्तन किए गए हैं। दिल्ली में पहले 2018 से इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम लागू किया जा रहा था। उसका आधार वायु में पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा हुआ करती थी। उसी के आधार पर प्रदूषण के स्तर को पांच वर्गों, मॉडरेट, पुअर, वेरी पुअर , सीवियर और सीवियर प्लस में विभाजित किया गया था। इसमें संशोधन करके 2022 में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लेवल के आधार पर प्रदूषण के स्तर को चार वर्गों में पूअर (एक्यूआई 201-300), वेरी पुअर (एक्यूआई 301-400), सीवियर (एक्यूआई 401-450) और सीवियर प्लस (एक्यूआई 450 से ज्यादा) में बांटा गया है।
तीन दिन पहले लागू होगा ग्रेप, निर्माण साइट पर 4 एंटी स्मोग गन हो पर्यावरण मंत्री गोपाल ने कहा कि अब वायु गुणवत्ता की स्थिति खराब होने से पहले पूर्वानुमानों के आधार पर 3 दिन पहले से ही ग्रेप के उपायों को लागू किया जाएगा। एक्यूआई की भविष्यवाणी आईआईटीएम और आईएमडी के डायनेमिक एयर क्वालिटी फोरकास्ट सिस्टम डेटा के आधार पर की जाएगी। धूल प्रदूषण को लेकर पहले केवल 20 हजार वर्ग मीटर से ऊपर के निर्माण साईट पर ही एंटी स्मोग गन लगाने का नियम था। अब नए नियम के आधार पर 5 हजार वर्गमीटर से लेकर उससे अधिक के एरिया के निर्माण साइट पर एंटी स्मोग गन लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में 5 हजार से 10 हजार वर्ग मीटर के निर्माण साईट पर एक एंटी स्मोग, 10 हजार से 15 हजार वर्ग मीटर के निर्माण साईट पर 2 एंटी स्मोग गन, 15 हजार से 20 हजार वर्ग मीटर निर्माण साइट पर 3 एंटी स्मोग गन और 20 हजार वर्ग मीटर से ऊपर के निर्माण साइट पर कम से कम 4 एंटी स्मोग गन होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछली बार निर्माण कार्यों से जुड़ी सभी एजेंसियों के साथ मिलकर धूल प्रदूषण को कम करने के लिए काम किया था। इस बार भी हम सभी एजेंसियों से अपील करते हैं कि धूल प्रदूषण से संबंधित नियमों का कड़ाई से पालन करें। निर्माण कार्य में लगी एजेंसियां जो इन नियमों का पालन नहीं करेंगी, उनपर कार्रवाई की जाएगी।