वसुधैव कुटुंबकम थीम पर आधारित व्यापार मेले में 13 देशों के साथ 25 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के उद्यमी व दस्तकार अपने उत्पाद प्रदर्शित कर रहे हैं। आयुर्वेदिक व हर्बल उत्पाद हॉल संख्या बारह में प्रदर्शित किए जा रहे हैं। आयुर्वेद के परम्परागत फार्मूलों व जड़ी-बूटियों से बने सौंदर्य उत्पाद आकर्षण का केंद्र हैं।
फलों के रस व जड़ी-बूटियों से बना चारकोल फेसवास, फेसवास की गोल्डरेंज, पपीते से तैयार फेसवास, खडिया, मुल्तानी मिट्टी व जड़ी-बूटियों से निर्मित साबुन, आयुर्वेदिक टूथपेस्ट, चंदन, केसर, मजीठा व तिल से बना कुनकुमादी तेल जैसे उत्पाद ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं। एमिल-आयुथवेदा के डॉ. संचित शर्मा के अनुसार आयुर्वेद में वर्णित फार्मूलों के आधार पर त्वचा, दांतों व बालों की देखरेख के लिए बने उत्पादों में लोग इसलिए भी रूचि ले रहे हैं कि इनमें कृत्रिम रंगों एवं खुशबू की जगह जूड़ी-बूटियों का इस्तेमाल हुआ है।
जड़ी-बूटियां लाए आदिवासी
हॉल संख्या सात में पहली बार मध्यप्रदेश के आदिवासी समुदाय के लोग भी दुर्लभ जड़ी बूटियां प्रदर्शित कर रहे हैं। लोग खरीदारी से ज्यादा इनके नफा-नुकसान व सेवन विधि के बारे में ज्यादा जानकारी ले रहे हैं। स्टॉल पर जड़ी-बूटियां प्रदर्शित कर रहे अजय व सुमित्रा देवी का कहना है कि जड़ी बूटियां कई रोगों में फायदा करती हैं।
सरकारी भी दे रही बढ़ावा
केंद्रीय आयुष मंत्रालय मेले में इन उत्पादों को बढ़ावे के लिए स्टार्प-अप को प्रोत्साहित कर रहा है। मंत्रालय के अनुसार कोरोना के बाद आयुष व आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग के चलते आयुष दवाओं, सप्लीमेंट्स व सौंदर्य प्रसाधनों का उत्पादन बढ़ा है। साल 2014 में तीन अरब डॉलर से भी कम वाला आयुष सेक्टर बढ़कर 18 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।