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किसानों ने रखी नई शर्त
आपको बता दें कि इस महापंचायत को संबोधित करते हुए नरेश कुमार ने कहा कि 47 गावों में वह स्वयं जाकर किसानों से बातचीत की है। किसानों ने उन्हें बताया कि जब एक एकड़ जमीन से प्राइवेट कंपनी 20 लाख रुपए की बिजली पैदा करेगी तो किसानों को सिर्फ एक लाख रुपए ही क्यों देने की बात कही गई है। किसान अपनी जमीन प्राइवेट कंपनियों को 25 वर्ष के तक देने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि 25 वर्ष बाद एक एकड़ जमीन की कीमत एक अरब से भी ज्यादा हो जाएगी। नरेश कुमार ने कहा कि सरकार के इस योजना में बहुत सारी बिसंगतियां हैं। जिसमें दिल्ली मास्टर प्लान 2021 का उल्लंघन, भूमि सुधार अधिनियम के तहत धारा 81 का उल्लंघन प्रमुख रूप से शामिल है। नरेश कुमार ने सरकार से मांग की है कि इस योजना में पीपीपी मॉडल के तहत किसान और कंपनी की 50-50 प्रतिशत की साझेदारी हो। किसानों को एक लाख रुपए रॉयलटी मिले। साथ ही हर वर्ष रॉयलटी में 10 प्रतिशत का इजाफा किया जाए। इसके अलावे किसानों को एक हजार यूनिट बिजली मुफ्त मे दी जाए। कंपनी के साथ 25 वर्ष का करार की जगह 10 वर्ष के लिए की जाए। उन्होंने कहा कि सरकार मास्टर प्लान की धारा 81 के उल्लंघन को खत्म करे और सबकी खेवट अलग की जाए।
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सोलर पैनल लगाने की है योजना
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले दिनों दिल्ली कैबिनेट की बैठक में दिल्ली के ग्रीन बेल्ट के सभी 47 गांवों में सोलर संयंत्र लगाने का फैसला किया गया था। सरकार की इस योजना के तहत 6 एकड़ कृषि भूमि में एक मेगावाट का सोलर संयंत्र लगाया जाएगा। किसानों को इसके बदले सरकार प्रति एकड़ एक लाख रुपए किराए के तौर पर भुगतान करेगी और हर वर्ष 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी की जाएगी। साथ ही किसानों को एक हजार यूनिट मुफ्त में बिजली दी जाएगी। यह करार 25 वर्षों के लिए होगा। इस योजना के अंतर्गत नजफगढ़ मटियाला, मुंडका, बवाना, नरेला, महिपालपुर विधानसभा क्षेत्र में ग्रीन बेल्ट के गांव आते हैं। लेकिन अब किसानों ने सरकार के इस योजना के खिलाफ गोलबंदी करते हुए अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।