नई दिल्ली

वेतन कम करने और स्थायी नहीं करने से नाराज DTC की पहली महिला चालक छोड़ेगी नौकरी

सरिता ने नौकरी छोड़ने की बात कही और सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने नौकरी ज्वाइन करते समय कहा था कि 6 महीने में स्थाई कर दूंगा लेकिन लगभग तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी वादा पूरा नहीं किया।

नई दिल्लीAug 28, 2018 / 05:54 pm

Anil Kumar

वेतन कम करने और स्थायी नहीं करने से नाराज DTC की पहली महिला चालक छोड़ेगी नौकरी

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में डीटीसी की पहली महिला बस चालक के तौर पर पहचान बनाने वाली वी.सरिता ने नौकरी छोड़ने की घोषणा की है। सरिता का आरोप है कि दिल्ली सरकार ने उसके साथ धोखा किया है। बीते सोमवार को सरिता ने नौकरी छोड़ने की बात कही और सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने नौकरी ज्वाइन करते समय कहा था कि 6 महीने में स्थाई कर दूंगा लेकिन लगभग तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी वादा पूरा नहीं किया। सरिता ने कहा इसके अलावा सरकार ने अस्थाई चालकों का वेतन भी कम कर दिया है। सरिता ने कहा कि इस बात को लेकर मुझे काफी दुख है।

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2015 में नौकरी शुरू की थी

आपको बता दें कि वी. सरिता मूलरूप से तेलंगाना की रहने वाली हैं। वर्ष 2015 के अप्रैल में उन्होंने डीटीसी में पहली महिला ड्राइवर के तौर अनुबंध पर नौकरी शुरू की थी। लेकिन तब से लेकर अब तक करीब साढ़े तीन वर्ष गुजर जाने के बाद भी डीटीसी को दूसरी महिला ड्रराइवर नहीं मिली। सरिता का कहना है कि उन्होंने जब डीटीसी में नौकरी ज्वाइन की थी तो 6 महीने में ही स्थाई नौकरी देने का वादा किया गया था लेकिन करीब तीन वर्ष हो जाने के बाद भी सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया है।

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सरकार से लगा चुकी है गुहार

आपको बता दें कि वी. सरिता का कहना है कि इस मामले को लेकर सरकार से वह गुहार भी लगा चुकी हैं। लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि हां इतना जरूर हुआ, अधिकारियों से मिलने के लिए दिनभर की छुट्टी लेने के कारण एक दिन की सैलरी कट गई। सरिता ने कहा कि 2015 में पहली बार जब वह डीटीसी की पहली महिला ड्राइवर के तौर पर नौकरी ज्वाइन की तो खूब सम्मान और प्यार मिला। साथ ही कई पुरस्कार भी मिले। बड़े-बड़े राजनेताओं से मिलने का मौका मिला। इस दौरान सभी ने स्थाई नौकरी देने की बात कही। लेकिन तीन वर्ष गुजर जाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह तत्कालीन परिवहन मंत्री गोपाल राय, सत्येंद्र जैन के अलावा मुख्यमंत्री के सलाहकारों तक से स्थायी नौकरी की गुहार लगा चुकी हैं, मगर कुछ नहीं हुआ।

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