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नई दिल्ली

राजस्थान के लोगों से मेरा संबंध अटूट, चाह कर भी कोई इसे नहीं तोड़ सकता: सचिन पायलट

-धर्म के आधार पर आरक्षण की बात हमने कभी नहीं की, नाकामी छिपाने के लिए भाजपा के शिगुफे-पायलट
-400 से अधिक सांसदों के बावजूद राजीव के समय नहीं उठी संविधान बदलने की बात
-देशभर में की 81 सभाएं, लेकिन राजस्थान से अटूट रिश्ता, चाह कर भी कोई नहीं तोड़ सकता
-राहुल के रायबरेली से चुनाव लडऩे पर भी बोले

नई दिल्लीMay 09, 2024 / 10:54 am

Shadab Ahmed

शादाब अहमद

नई दिल्ली। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट ने कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण की बात हमने कभी नहीं की, दस साल की नाकामी छिपाने के लिए भाजपा इस तरह के शिगुफे छोड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बेरोजेगारी, काले धन, महंगाई जैसे मुद्दों को भूल अब मंदिर-मस्जिद, हिंदू-मुसलमान, मंगलसूत्र, भैस छीनने जैसी बातें कर लोगों में डर पैदा करने की कोशिश कर रहे है, लेकिन इसमें दम नहीं है। पायलट ने कहा कि उन्होंने इस चुनाव में अब तक करीब 41 लोकसभा सीटों पर 81 सभाएं की है। वहीं राजस्थान के लोगों से उनका संबंध अटूट है, जिसे कोई चाह कर भी नहीं तोड़ सकता है। जीवन के अंतिम सांस तक वहीं पर पार्टी को सबसे ज्यादा ताकत दे सकता हैं। उत्तर प्रदेश के लोगों, पार्टी और गठबंधन की इच्छा पर जबकि राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ रहे हैं। पायलट ने यह बातें पत्रिका के शादाब अहमद से विशेष बातचीत में कहीं। प्रस्तुत बातचीत के प्रमुख अंश…..
सवाल: राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश समेत देशभर में आपने प्रचार किया है, कैसा माहौल दिख रहा है?

जवाब: मुझे लग रहा इस चुनाव में कोई लहर नहीं है। यह चुनाव बदलाव का है। मैं एक दर्जन राज्यों में गया हूं। मेरा फीडबैक है कि जनता इस सरकार से ऊब चुकी है और बदलाव चाहती है। तीन चरणों में इंडिया गठबंधन बहुत बढ़त बनाए हुए हैं। भाजपा हमारे घोषणा पत्र में कमी निकालने और कम्यूनल बातें कर रही है, लेकिन जनता दस साल के शासन का आकलन कर रही है।
सवाल: राजस्थान से आप खुद आते हैं और छत्तीसगढ़ के प्रभारी महासचिव है। इन दोनों राज्यों में आप कितनी सीटें जीत सकते हैं?

जवाब: पिछले दो चुनावों में राजस्थान में हम एक भी सीट नहीं जीत सकें, वहीं छत्तीसगढ़ में 2019 में हमारी सरकार के बावजूद महज दो सीट जीतें थे। इस बार दोनों राज्यों में कांग्रेस ज्यादा सीटें जीतेगी। साथ ही राजस्थान में गठबंधन वाली नागौर, सीकर व बांसवाड़ा सीट भी जीत रहे हैं। जहां-जहां कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला है, वहां कांग्रेस का पलड़ाा भारी रहेगा। भाजपा ने पिछले दस सालों में ऐसी कोई छाप नहीं छोड़ी है, जिसकी वजह से लगातार तीसरी बार लोग उन्हें वोट दें। भाजपा के पास वहीं पुरानी बाते हैं और लोग महंगाई, बेरोजगारी, किसानी की समस्या से जूझ रहे हैं। 2014 में भाजपा ने महंगाई, काला धन, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के मुद्दें पर चुनाव लड़ा, लेकिन इन चारों ही मुद्दों पर वो विफल साबित हुई। अब मंदिर-मस्जिद, हिंदू-मुसलमान, मकान, मंगलसूत्र, भैस छीनने जैसी बातें कर मुद्दों से लोगों में डर पैदा करने की कोशिश कर रहे है, लेकिन इसमें दम नहीं है।
सवाल: छत्तीसगढ़ के बाद दिल्ली भेज दिया, राजस्थान में वापसी कब होगी?

जवाब: राजस्थान के लोगों से मेरा संबंध अटूट है। चाह कर भी कोई इसे तोड़ नहीं सकता। जीवन के अंतिम सांस तक राजस्थान में कांग्रेस को सबसे ज्यादा ताकत दूंगा। राजस्थान का प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए भी विभिन्न राज्यों में प्रचार करने जाता रहा हूं। पार्टी जिस राज्य और सीटों की जिम्मेदारी दे रही है, उसका भी ध्यान रखना है। अभी भी मैंने राजस्थान, छत्तीसगढ़, केरला, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश व दिल्ली में करीब 41 लोकसभा सीटों पर 81 सभाएं की हैं। फिलहाल दिल्ली में हमारा आम आदमी पार्टी से गठबंधन है। भाजपा के प्रति वहां नाराजगी है। उसे अपने सांसदों के टिकट भी काटने पड़े। भाजपा दिल्ली में बैकफुट पर है।
सवाल: रायबरेली या अमेठी से प्रियंका गांधी को चुनाव नहीं लड़ाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं?

जवाब: हर पार्टी का एक निर्णय होता है। पहले अटल बिहारी वाजपेयी जी, लालकृष्ण आडवाणी जी दो जगह से चुनाव लड़ते थे। नरेन्द्र मोदी जी खुद दो जगह से चुनाव लड़ चुके हैं। विधायक होने के बावजूद गठबंधन में शामिल अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के लोगों, पार्टी और गठबंधन की यह इच्छा थी कि राहुल गांधी को यहां से चुनाव लडऩा चाहिए। राहुल पहले भी कह चुके थे कि वे पार्टी के निर्णय को मानेंगे। पार्टी को रणनीति के तहत यह ठीक लगा कि रायबरेली से चुनाव लडऩा चाहिए। जबकि 1983 से पार्टी के लिए काम करने वाले किशोरीलाल शर्मा को अमेठी से टिकट देें। मुझे लगता है कि स्मृति ईरानी को हराने के लिए किशोरीलाल जी काफी है।
सवाल: नीट की परीक्षा में राजस्थान समेत देशभर में हंगामा हुआ। कैसी व्यवस्था बने, जिससे प्रतियोगी परीक्षा ठीक से हो सके पेपर लीक

जवाब: परीक्षाओं की अव्यवस्था और पेपर लीक का मुद्दा चुनाव में बिल्कुल उठना चाहिए। जो सरकार, संस्था, नेता, शिक्षक बच्चों, शिक्षित नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं या फिर खिलवाड़ होता देख रहे हैं, उनकी जवाबदेही तय करनी होगी। मैं पहले से कई बार कहता रहा हूं कि पेपर लीक हो रहा है, परीक्षाएं रद्द हो रही है। यदि उनमें कोई माफिïया, ताकतवर अफसर या किसी भी दल का नेता शामिल हो तो उस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। नीट की परीक्षा में गड़बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण होने के साथ बड़ा मुद्दा है।
सवाल: कर्नाटक के सैक्स स्केंडल पर कांग्रेस सरकार ने कार्रवाई में देरी की, क्या कहेंगे?

जवाब: कितनी गलत बात है, जिस पार्टी के नेता के बच्चों ने अपनी गाड़ी से किसानों को कुचल दिया, उसको टिकट दे दिया। जिन बृजभूषण सिंह पर मेडल विजेता खिलाडिय़ों के साथ यौन शोषण के आरोप लगे तो उनके बेटे को टिकट थमा दिया। जिनके सहयोगी दल के सांसद पर मल्टीपल रेप के आरोप लग रहे हैं, वो आज कांग्रेस पर अंगुली उठा रहे हैं। लोकतंत्र में हमेशा विपक्ष सरकार पर आरोप लगाता है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि जबकि सरकार विपक्ष पर आरोप लगा रही है। भाजपा में नैतिकता है तो जेडीएस से नाता तोड़ देना चाहिए। हमारी सरकार ने तत्काल कार्रवाई की है। भाजपा तो राहुल जी और प्रियंका जी को टारगेट करते हैं।
सवाल: संविधान बदलने को लेकर कांग्रेस-भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं, ऐसा क्यों?

सवाल: देखिए, राजीव गांधी जी की सरकार में 400 से ज्यादा कांग्रेस के सांसद थे। कभी उनको कहना पड़ा कि वो संविधान से छेड़छाड़ नहीं करेंगे। वाजपेयी जी को कभी खंडन करना पड़ा? इनको क्यों संविधान बदलने की बात का खंडन करना पड़ रहा है? दरअसल, इनके नेता खुद ही संविधान बदलने की आवाजें निकाल रहे हैं। मजबूरी में उनके नेताओं को इसका खंडन करना पड़ रहा है। यही वजह है कि लोगों के मन में संदेह है और वो असहज है। लोगों को मन बनाना पड़ेगा कि संस्थाओं की विश्वसनीयता, निष्णक्ष कार्यप्रणाली बनी रहे।
सवाल: लोकतंत्र को खतरे में क्यों कहा जा रहा है?

जवाब: देखिए, सिर्फ वोट देना लोकतंत्र नहीं हैै। यह तो रूस और पाकिस्तान में भी है, लेकिन असल लोकतंत्र वहां कहां है। सवाल पूछने की आजादी, संस्थाओं की मजबूती यह होता है लोकतंत्र। आपने देखा होगा कि चंढीगढ में किस तरह से मेयर के चुनाव में घपलेबाजी की, जिसमें सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा। चलते चुनाव में कांग्रेस के खाते सीज कर दिए, एक दिन में 147 सांसदों को निलंबित कर संसद में बिल पास कराए। यह जो रवैया स्वस्थ परंपरा नहीं है। इस सरकार से पहले 70 साल में किसी सरकार ने संवेधानिक संस्थाओं पर प्रहार नहीं किया।
सवाल: बार बार मुस्लिम आरक्षण की बात सामने आ रही है, अब लालू यादव के बयान को लेकर मोदी फिर से हमलावर हो गई है

जवाब: किस नेता ने क्या बोला, मुझे पता नहीं। कांग्रेस का घोषणा पत्र छपा हुआ है, जिसके बारे में गलतफहमी पैदा करने की कोई गुंजाइश नहीं है। धर्म के आधार पर आरक्षण की चर्चा हमने कभी नहीं की और न ही हमारे घोषणा पत्र में इसका जिक्र है। संविधान भी इसकी इजाजत नहीं देता है। संविधान के आर्टिकल 343 में सामाजिक, शैक्षिक पिछड़े वर्ग की सुरक्षा की बात कहीं गई है। दलित, आदिवासी, पिछड़े, अगड़े समाज के आर्थिक पिछड़ों के लिए संविधान में प्रावधान किया हुआ है। धर्म के आधार पर यह अपनी बात सिर्फ और सिर्फ अपनी नाकामी छिपाने के लिए शिगुफे हैं। इसमें कोई तथ्य व दम नहीं है। आरोप लगाने की नई कोशिश शुरू की है।
सवाल: आप यह बात तो कह रहे हैं, लेकिन अरविंद सिंह लवली के इस्तीफे का घटनाक्रम सबको पता है। फिर कैसे जीतेंगे?

जवाब: कांग्रेस से कई नेता पार्टी छोड़ गए हैं। राजस्थान में भी कई नेताओं ने पार्टी छोड़ी है। जहां तक लवली जी की बात है, वो पहले भाजपा में चले गए, फिर कांग्रेस में आ गए। यदि आपको जाना भी है तो आप अपनी मर्जी से जाओ, किसी को भला बुरा कहने की कहां जरूरत है। खुद में इतनी हिम्मत और कलेजा होनी चाहिए कि मैं पार्टी छोडक़र दूसरी पार्टी में जा रहा हूं। चुनाव से पहले नेताओं का आना-जाना लगा रहता है। राजस्थान, हरियाणा में भाजपा के सांसद कांग्रेस में आ गए।
सवाल: राजस्थान की भाजपा सरकार कैसी चल रही है?

जवाब: भाजपा की सरकार चल कहां रही है? वहां सभी काम ठप पड़े हैं। कभी कोई मंत्री बयान दे रहा है, कभी कंफ्यूजन फैल रहा है। सरकार में खिंचाव और तनाव है। कई सारे पावर सेंटर बन गए हैं, जिससे लोगों में विश्वास उठ रहा है। शुुरुआती दिनों में छाप नहीं छोड़ी। मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के बयान दर्शाता है कि वो संतुष्ठ नहीं है। वो मर्यादा की बात कर रहे हैं, लेकिन न्याय-न्याय होता है। पक्ष-विपक्ष कुछ नहीं होता। पीडि़त को न्याय मिलना चाहिए। किरोड़ी मीणा में इतनी नैतिकता तो है कि परिणाम अनुरूप नहीं आने पर इस्तीफा देने की बात कर रहे हैं। बाकी मंत्रियों को देखते हैं, उनका क्या रूख रहता है।

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