जवाब- कई कारण हैं। राजस्थान में कानून-व्यवस्था बदतर हो चुकी है। अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। 2 लाख से ज्यादा महिलाओं और मासूम बच्चियों के साथ अत्याचार की घटनाएं हुई हैं। कांग्रेस की गहलोत सरकार ने भ्रष्टाचार से राजस्थान को विकास के मार्ग से बर्बाद की राह पर मोड़ दिया। जबकि केंद्र से लेकर राज्यों में विकास का हमारा ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा है। हमारी किसी सरकार पर आज तक भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं लगा है।जनता ने भी तय कर लिया है कि हमें भाजपा की सरकार चाहिए।
सवाल- जिस तरह आपको भरोसा है कि भाजपा की सरकार आने वाली है, उसी तरह मुख्यमंत्री गहलोत को भी भरोसा है कि 7 गारंटियों के सहारे राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रिपीट होकर इतिहास बनाएगी।
जवाब – देखिए, एक बात स्पष्ट कर दूं कि जो सांसद विधायक का चुनाव लड़ रहे हैं, इसका यह अर्थ नहीं है कि संसद में उनकी भूमिका संतोष जनक नहीं रही या फिर पार्टी के पैमाने पर वे खरे नहीं उतरे। राज्यों के विधानसभा चुनाव की भी बहुत अहमियत होती है। पार्टी को लगा कि ये सांसद किसी खास सीट पर चुनाव जीत सकते हैं तो पार्टी ने उन्हें मैदान में उतार दिया।
जवाब- मुझे लगता है कि कांग्रेस नेताओं के पास मर्यादित शब्दों का अकाल पड़ गया है। राजनीति और सामाजिक जीवन में मर्यादा नहीं टूटनी चाहिए। राजनीति में इस तरह की शब्दावली का प्रयोग कतई नहीं होना चाहिए। राजनीति में दिन प्रतिदिन गिरता भाषा का स्तर दुर्भाग्यपूर्ण है।
सवाल – कांग्रेस के वादों को तो भाजपा फ्रीबीज कहकर सवाल उठाती है, लेकिन आपकी पार्टी भी कई लोकलुभावन योजनाएं चला रही। अंतर क्या है ?
जवाब – देखिए, दोनों में अंतर है। हम रेवड़ी कल्चर में विश्वास नहीं रखते। हम सोशल इंपावरमेंट में यकीन रखते हैं। किसानों की न्यूनतम आवश्यकताएं पूरी हो सकें, इसके लिए हमने पीएम किसान सम्मान निधि को 6 हजार से बढ़ाकर 12 हजार करने का वादा किया है। विदेशों में 3 हजार रुपए मिलती है, उस यूरिया को हम 300 में देते हैं। यूरिया पर 2 लाख करोड़ की सब्सिडी देकर हम कोई अहसान किसानों पर नहीं कर रहे, बल्कि देश के अन्नदाताओं को आर्थिक रूप से मदद कर रहे। चुनाव के एन वक्त मुफ्त की घोषणाएं करना और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए योजनाएं चलाना दोनों में अंतर होता है।