scriptAI Innovation: नवजात बच्चों के मूड से लेकर लंपी वायरस, एथलीट की चोटें डिटेक्ट करने वाली इनोवेशन कर रहे हैं छात्र, जाने किन समस्याओं का निकाला हल? | school students developing ideas into innovation by adopting ai | Patrika News
नई दिल्ली

AI Innovation: नवजात बच्चों के मूड से लेकर लंपी वायरस, एथलीट की चोटें डिटेक्ट करने वाली इनोवेशन कर रहे हैं छात्र, जाने किन समस्याओं का निकाला हल?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) धीरे-धीरे शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बनता जा रहा है। देश भर के कई स्कूलों के छात्र जन समस्याओं को समझते हुए एआई के सहयोग से समाधान निकाल रहे हैं। देश भर के स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों ने एआई के सहयोग से ऐसी इनोवेशन की है। जिससे आम जनता की कई समस्याओं के साथ प्राकृतिक संसाधनों व जानवरों की प्रजातियों को संरक्षित करने में सहायता मिलेगी। यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन (UNESCO) के कार्यक्रम में कुछ छात्रों ने अपनी इनोवेशन को प्रदर्शित की।

नई दिल्लीSep 22, 2022 / 04:24 pm

Rahul Manav

AI Innovation: नवजात बच्चों के मूड से लेकर लंपी वायरस, एथलीट की चोटें डिटेक्ट करने वाली इनोवेशन कर रहे हैं छात्र, कई समस्याओं को सुलझाने का कर रहे हैं कार्य

UNESCO की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इन एजुकेशन पर आधारित रिपोर्ट के कार्यक्रम में छात्रों ने प्रदर्शित की अपनी इनोवेशन।  

देशभर के स्कूलों के छात्र अपने इवोटिव आइडिया को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को अपनाकर कई तकनीक डेवलप कर रहे हैं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और इंटेल कंपनी ने छात्रों के लिए एआई फॉर ऑल इनिशिएटिव वर्ष 2019 में लॉन्च किया था। इसी के जरिए कई स्कूल में पढ़ रहे छात्रों ने अपने इनोवेटिव आइडिया को मूर्त रूप दी है। कई छात्रों ने प्रोटोटाइप तैयार करते हुए एक प्रोडक्ट तैयार कर लिया है। वह अब उसे आगे एडवांस स्टेज में लेकर जाएंगे और अपने आइडिया को पेटेंट भी कराएंगे। आने वाले समय में अपने इनोवेशन को बड़े स्तर पर सार्वजनिक तौर पर भी उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे।
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गायों में लंपी वायरस डिटेक्ट करेगी वेबसाइट

मध्य प्रदेश के दमोह के श्री गुरु नानक हायर सेकेंडरी स्कूल के 11वीं के छात्र आदित्य शर्मा ने गाय व भैंसों में लंपी वायरस, पिंक आई और पैरों व मुंह की बीमारियों को पता लाने वाली एक वेबसाइट तैयार की है। इस वेबसाइट का नाम कैटल सेंस दिया गया है। आदित्य ने कहा है कि इस वेबसाइट के जरिए किसान व गौवंश के ओनर उनकी तस्वीरों को खींचकर जैसे ही वेबसाइट में अपलोड करेंगे। वह इन तीन बीमारियों के बारे में कुछ ही पलों में सीधे उन्हें जानकारी दे देगी। इस में रियल टाइम इमेज भी अपलोड कर सकते हैं या पुरानी तस्वीर भी अपलोड कर सकते हैं। यह नजदीकी डॉक्टर की लोकेशन और बचाव के तरीकों के बारे में भी जानकारी देगी।
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एथलीट के लिए चोटों पहचानने वाला ऐप किया तैयार

त्रिपुरा के अगरतला के केंद्रीय विद्यालय एनआईटी की 11वीं की छात्रा ने पुहाबी चक्रवर्ती एआई आधारित एप्लिकेशन ‘एथलीटएक्स : आत्मानिर्भर एथलीट’ तैयार किया है। इस एप के जरिए एथलीटों की चोटों का सही तरीके से पहचान हो सकेगी। जिससे चोट को स्कैन किया जाता है। इस ऐप के सहयोग से एथलीट की मेंटल हेल्थ की भी स्कैनिंग होती है। पुहाबी ने ऐप के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस ऐप को तैयार करने का उद्देश्य है कि देश के गरीब परिवारों में उभरते हुए एथलीट खिलाड़ियों की प्रशिक्षण में यह ऐप मददगार साबित हो। ऐसे एथलीट महंगी ट्रेनिंग व हेल्थ की सेवाओं को अच्छे ढंग से प्राप्त नहीं कर पाते हैं। इसलिए ऐसे एथलीट के लिए यह ऐप तैयार की है। इससे वह शारीरिक और मानसिक रूप से अपनी समस्याओं को पहचान कर अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। पुहाबी चक्रवर्ती को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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87 भाषाओं में सीख सकेंगे कोडिंग

महाराष्ट्र के नागपुर के एमकेएच संचेती पब्लिक स्कूल के 12वीं के नॉन मेडिकल के छात्र कृष राजेश यादव ने एआई के जरिए भाषा एक्स – एआई कोड सर्मराइजर प्रोजेक्ट तैयार किया है। इस प्रोजेक्ट के जरिए वेबसाइट में जाकर कोई भी छात्र अपनी मातृभाषा में कोड प्रोग्रामिंग सीख सकता है। कृष बताते हैं कि इस उन्होंने इसके लिए वेबसाइट तैयार किया है। जिसका नाम भाषा एक्स के नाम पर ही रखा गया है। इसमें 87 भाषाओं में छात्रों को कोड प्रोग्रामिंग सीखने में सहायता मिलेगी। उन्होंने बताया कि एक कोडिंग की प्रतियोगिता में कुछ छात्र सिर्फ इसलिए हिस्सा नहीं ले पाए थे क्योंकि उन्हें अंग्रेजी नहीं आती थी। तब मुझे इस तरह के प्रोजेक्ट के बारे में इनोवेशन का आइडिया आया। उन्होंने बताया कि इसे जल्द ही कई छात्रों के लिए उपलब्ध कराने के लिए ऐप तैयार की जाएगी।
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सेरेब्रल पाल्सी डिटेक्ट करेगा यंत्र

दिल्ली के सलवान पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल की 12वीं की छात्रा लक्षिता और विधि सिंह ने सेरेब्रल पाल्सी को डिटेक्ट करने वाला यंत्र तैयार किया है। इसका नाम दिव्यांग रोशनी दिया गया है। छात्राओं ने कहा कि जैसे ब्लड प्रेशर मापते हैं। ठीक उसी तरीके से यह यंत्र काम करता है। इसमें एआई के सहयोग से यह इनोवेशन की गई है कि हाथों में यंत्र के वायरस के पॉइंट्स को लगाकार वह बच्चों में डिटेक्ट कर देगा कि उन्हें सेरेब्रल पाल्सी बीमारी है या नहीं। उन्होंने दावा किया कि इसके लिए सीट स्कैन और एमआरआई कराने की भी जरूरत नहीं पडे़गी। यंत्र में मौजूद इलेक्ट्रोमोग्राफी (ईएमजी) के जरिए बच्चों में इस बीमारी के बारे में पता लगाया जा सकता है। सेरेब्रल पाल्सी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है जो बच्चों की शारीरिक गति, चलने-फिरने की क्षमता को प्रभावित करता है। वहीं, इलेक्ट्रोमोग्राफी (ईएमजी) मांसपेशियों की विद्युत गतिविधि की जांच करने के लिए एक प्रक्रिया है। इससे स्वास्थ्य की जांच की जाती है।
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नवजात बच्चों के मूड को डिटेक्ट करेगा सिस्टम

महाराष्ट्र के नागपुर के एमकेएच संचेती पब्लिक स्कूल के 11वीं कक्षा के छात्र यश राजेश यादव ने एआई आधारित नवजात बच्चों के व्यवहार की विभिन्न गतिविधियों की मॉनिटरिंग के लिए एक सिस्टम तैयार किया है। इसका नाम इंफेंट मॉनिटरिंग सिस्टम नाम दिया है। यश ने बताया कि इस सिस्टम के जरिए बच्चों की जानकारी माता-पिता को अपने आप ही रोजमर्रा के जीवन में मिलेगी। बच्चा रो रहा है तो क्यों रो रहा है, उसे सांस लेने या किसी भी अन्य तरीके की कोई परेशानी हो रही है तो क्यों हो रही है। यह सिस्टम उसे डिटेक्ट करेगा और माता-पिता को सिग्नल भेजेगा। यह अभी एक वेबसाइट के रूप में तैयार की गई है।
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मछलियों की प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाएगी वेबसाइट

तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के 12वीं कक्षा के छात्र अनुराघव पी ने अंडरवाटर लाइफ सेवर वेबसाइट तैयार की है। इस वेबसाइट में किसी भी मछली की तस्वीर अपलोड करेंगे तो उसकी प्रजाति समेत यह जानकारी मिल जाएगी कि क्या वह विलुप्त होने की कगार पर है। इससे उस मछलियों को सरकार व प्रशासन को संरक्षित करने में नियम बनाने में सहयोग मिलेगा। उन्हें जानकारी मिल जाएगी कि किन प्रजातियों को संरक्षित रखने की जरूरत है।
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हाथ से पावर पाइंट प्रेजेंटेशन को करेंगे कंट्रोल

राष्ट्रपति भवन में स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विद्यालय के 11वीं के छात्र आशीष कुमार वर्मा ने प्रेसकॉन-एआई नाम की एक वेबसाइट तैयार की है। इस वेबसाइट की मदद से पॉवर पाइंट प्रेजेंटेशन या अन्य डॉक्यूमेंट की स्लाइड की हाथों से नियंत्रित किया जा सकता है। आशीष ने कहा कि बिजनेस कंपनियों में और स्कूलों में एआई के अनुरूप स्मार्ट क्लास में यह काफी उपयोगी होगा। इससे शिक्षकों और कंपनियों के प्रतिनिधियों को कोई भी प्रेजेंटेशन देते समय किसी को लैपटॉप या कंप्यूटर में बैठाकर प्रेजेंटेशन की स्लाइड को नियंत्रित करने की जरूरत नहीं पडे़गी। 1
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वेल मछलियों को संरक्षित करने के लिए बनाया यंत्र

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के दिल्ली पब्लिक स्कूल के 12वीं के छात्र राहुल जयकृष्ण और बिपुल ने वेल मछलियों को संरक्षित करने के लिए यंत्र तैयार किया है। छात्रों ने बताया कि इससे जहाजों के नीचे फीट करके वह अपने आप ही वेल मच्छलियों के साउंड की प्रीकवेंसी के जरिए अलर्ट सिग्नल समुद्र के पानी के अंदर भेजेंगी। इससे वेल मछलियों को पता चला जाएगा कि उनके करीब जहाज है और वह अपना रास्ता बदल लेंगी। इससे वेल मछलियों के विलुप्त होने पर सहायता मिलेगी।
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एआई आधारित बॉडी ट्रैकर किया तैयार

ओडिशा के जजपुर के जजती केशारी गर्वनमेंट हाई स्कूल की 10वी की छात्रा सुश्चिसमिता दिक्षित ने युवाओं के स्वास्थ्य को मॉनिटर करने के लिए एआई आधारिक बॉडी ट्रैकर तैयार किया है। इस ट्रैकर के अनुरूप युवाओं जब एक्सरसाइज करने लगेंगे और इस दौरान उनके तस्वीरें लेकर पता लगाया जा सकता है कि वह अपने रोजमर्रा की रूटीन की एक्सरसाइज को सही ढंग से कर रहे हैं या नहीं। छात्रा द्वारा तैयार की गई वेबसाइट में फोटो डालकर बॉडी के पोस्चर को डिटेक्ट करके बताया जाएगा कि सही तरीके से किस तरह से एक्सरसाइज की जा सकती है। उन्हें इसके लिए किसी से कंसल्ट करने की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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