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दवा की एक डोज से लम्बे समय स्थिर रह सकेगा ब्लड शुगर

दवा कम्पनियों ने उदयपुर में हुए ताजा शोध पर काम किया तो वह दिन दूर नहीं जब मधुमेह (डायबिटीज) के रोगियों को बार-बार या एक से अधिक दवा लेने के झंझट से मुक्ति मिल सकेगी। उदयपुर के एक फार्मसी कॉलेज की शोधार्थी ने अपने अध्ययन के दौरान ब्लड शुगर के स्तर को िस्थर बनाए रखने […]

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  Foods to control blood sugar level in Hindi : डायबिटीज (Diabetics) में ब्लड शुगर को कंट्रोल करना जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। सही डाइट, दवाओं का सही समय पर सेवन, एक्सरसाइज, और नियमित चेकअप इसमें मदद करते हैं। इस सबके साथ, खाने में कुछ विशेष फूड्स शामिल करना भी ब्लड शुगर (Blood sugar) को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। ये फूड्स डायबिटिक्स (Diabetics) के लिए आहार स्तर को संतुलित रखने में सहायक होते हैं।  

दवा कम्पनियों ने उदयपुर में हुए ताजा शोध पर काम किया तो वह दिन दूर नहीं जब मधुमेह (डायबिटीज) के रोगियों को बार-बार या एक से अधिक दवा लेने के झंझट से मुक्ति मिल सकेगी। उदयपुर के एक फार्मसी कॉलेज की शोधार्थी ने अपने अध्ययन के दौरान ब्लड शुगर के स्तर को िस्थर बनाए रखने में सफलता हासिल की है। शहर के भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय की शोधार्थी डॉ. प्रियंका चौहान ने मेटफाॅर्मिन दवा के फॉर्मुलेशन में बदलाव कर यह कामयाबी पाई है।

प्रचलित जीवनशैली और खान-पान की आदतों से मधुमेह के रोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। ऐसे में इसके नए उपचार विकल्पों का भी पता लगाया जा रहा है। कुछ शोधकर्ताओं ने दवाओं और इंसुलिन या नैदानिक प्रयोजनों के लिए एंटी डायबिटिक उन्नत माइक्रोसेफर्स तैयार किए हैं। इसी क्रम में शोधार्थी प्रियंका ने मेटफॉर्मिन के फोर्मेटिक कायनेटिक्स में बदलाव किया। उन्होंने दवा के कॅरियर को बदला और एंजाइम्स पर इसका अध्ययन किया। जिसमें पाया कि दवा के जो तत्व शरीर में जाने के बाद एक साथ रिलीज होकर नष्ट हो रहे हैं, वह शरीर की जरूरत के अनुसार धीरे-धीरे रिलीज होने लगे। ऐसे में नष्ट होने वाले दवा के तत्वों का भी उपयोग होने लगा। इस बदलाव ने 12 से 24 घंटे तक ब्लड शुगर को नियंत्रित करने का काम किया।

अभी 25 प्रतिशत दवा का ही उपयोग

शोधार्थी डॉ. प्रियंका के मुताबिक अभी कोई रोगी दवा लेता है तो वह यकृत में जाकर पूरी तरह डिजोल्व हो जाती है। ऐसे में ब्लड शुगर नियंत्रण के लिए उसके 25 प्रतिशत तत्वों का ही उपयोग हो पाता है और 75 प्रतिशत नष्ट हो जाते हैं। मधुमेह रोगी के कुछ खाते ही ब्लड शुगर बढ़ जाता है। इसलिए उसे नियमित अंतराल में दवा का सेवन करना पड़ता है। उनके अध्ययन में सामने आया कि फोर्मेटिक बदलाव से दवा एक साथ रिलीज नहीं होकर शरीर की आवश्यकता के अनुसार निकलती है। ऐसे में एक ही खुराक लम्बे समय तक काम कर पाती है। इस अध्ययन में विभिन्न पॉलिमर के प्रभाव की जांच की गई।

इनका कहना ....

इस शोध को मधुमेह रोगियों के लिए एक नई उम्मीद के रूप में देखा जा सकता है। हालांकि अभी इसके दवा के रूप में बाजार तक आना एक लम्बी प्रक्रिया का हिस्सा है। इसका एनिमल ट्रायल और उसके बाद क्लीनिकल ट्रायल होना शेष है। यदि कोई दवा कम्पनी रुचि दिखाती है तो यह प्रक्रिया आगे बढ़ पाएगी। शोध को वैश्विक विज्ञान पत्रिका साइंस डायरेक्ट में भी स्थान दिया जा चुका है। जो अपने आप में महत्वपूर्ण है।

- प्रो. चेतन चौहान, फार्मसी विभाग, भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय, उदयपुर