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अमृता विश्वविद्यापीठम ने यूनेस्को चेयर की स्थापना की

भारत में ऐसा करने वाला एकमात्र विश्वविद्यालय बना अमृता; दिव्यांगजनों की शिक्षा में तकनीकी नवाचार को मिलेगा प्रोत्साहन

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भारत में ऐसा करने वाला एकमात्र विश्वविद्यालय बना अमृता; दिव्यांगजनों की शिक्षा में तकनीकी नवाचार को मिलेगा प्रोत्साहन

नई दिल्ली. दिव्यांगजनों के लिए शिक्षा को और अधिक सुलभ, समावेशी और प्रभावकारी बनाने की दिशा में एक अहम पहल करते हुए अमृता विश्वविद्यापीठम ने शिक्षा में सहायक प्रौद्योगिकियों (Assistive Technologies in Education) पर एक नई यूनेस्को चेयर की स्थापना की है। यह चेयर यूनेस्को के UNITWIN/UNESCO Chairs Programme के अंतर्गत अमृतपुरी (केरल) परिसर में स्थापित की गई है।
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अज़ुले और अमृता विश्वविद्यापीठम के कुलपति डॉ. पी. वेणकट रंजन के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। चेयर का कार्यकाल जून 2029 तक रहेगा और इसका नेतृत्व डॉ. प्रेमा नेडुंगाडी एवं डॉ. रघु रामन संयुक्त रूप से करेंगे।
इस चेयर का उद्देश्य विशेष रूप से दिव्यांगजनों के लिए ऐसे तकनीकी समाधान विकसित करना है, जो सीखने की बाधाओं को कम करें, डिजिटल शिक्षा को अधिक सुलभ बनाएं और कौशल विकास को बढ़ावा दें। इस पहल के तहत भारतीय सांकेतिक भाषा (ISL) वीडियो पहचान, एआई-सक्षम चैटबॉट्स, और ऑडियो डिस्क्रिप्शन जैसी तकनीकों पर कार्य किया जाएगा। साथ ही ई-गवर्नेंस सेवाओं हेतु ISL-इंटीग्रेटेड एक्सेसिबिलिटी इंटरफेस भी विकसित किया जा रहा है, जिसका प्रारंभिक संस्करण ‘UMANG’ प्लेटफ़ॉर्म पर पहले ही लागू किया जा चुका है। यह प्लेटफ़ॉर्म इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) तथा राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (NeGD) द्वारा संचालित है।
इस अवसर पर सह-अध्यक्ष डॉ. प्रेमा नेडुंगाडी ने कहा कि “अम्मा की करुणा-प्रेरित दृष्टि से प्रेरित होकर, अमृता सदैव ऐसे शैक्षिक नवाचारों पर कार्य करती रही है जो वंचितों को आवाज़ देते हैं। यह नई यूनेस्को चेयर शिक्षा, अनुसंधान और सेवा को एकीकृत करते हुए हमारे मिशन को आगे बढ़ाएगी।”
इस उपलब्धि के साथ अमृता विश्वविद्यापीठम अब भारत का एकमात्र विश्वविद्यालय बन गया है जिसके पास तीन सक्रिय यूनेस्को चेयर्स हैं — जेंडर इक्वेलिटी एंड वीमेन एंपावरमेंट (2016), एक्सपेरिएंशियल लर्निंग फॉर सस्टेनेबल इनोवेशन एंड डेवलपमेंट (2020), और अब एजुकेशन में असिस्टिव टेक्नोलॉजीज पर नई चेयर। यह उपलब्धि भारत के लिए गौरव का क्षण है।