विशेषज्ञों के अनुसार लगातार कई दिन तक भीषण गर्मी का प्रकोप बने रहने पर सिरदर्द, चक्कर आने और घबराहट के मरीज तेजी से बढ़े हैं। इस स्थिति को हीट रैश, हीट क्रैम्प, हीट फटीग(थकान) और हीट स्ट्रोक कहा जाता है। गर्मी का असर शरीर के सभी अंगों पर असर डाल सकता है, जो कभी-कभी गंभीर रूप भी ले सकता है।
इस तरह समझें हीट रैश : यह चुभने वाली त्वचा की जलन है, जो त्वचा को लाल कर देती है हीट क्रैम्प : गर्मी से होने वाली ऐंठन, जिसमें मांसपेशियों में दर्दनाक ऐंठन होती है
हीट फटीग : कम तरल पदार्थ पीने और उच्च तापमान में लंबे समय तक रहने के कारण होती है, इसमें अधिक पसीना आता है, नाड़ी तेज और कमजोर हो जाती है, सांसें तेजी से चलती हैं
हीट स्ट्रोक : जानलेवा हो सकता है, तब होता है, जब शरीर का तापमान कुछ ही मिनटों में 106 डिग्री फारेनहाइट (41 डिग्री सेल्सियस) से ऊपर चला जाता है। इस तरह के आ रहे मामले
– 50 वर्ष आयु की महिला को कभी घबराहट की समस्या नहीं हुई। दो दिन पहले अचानक वह घर पर ही गश खाकर गिर पड़ी। घबराए परिजनों ने बीपी चेक किया तो वह सामान्य था। महिला को न्यूरोफिजिशियन को दिखाया। वहां भी रिपोर्ट सामान्य थी। चिकित्सक ने बताया कि यह गर्मी का असर है।
– 40 वर्ष आयु के मरीज को रविवार शाम घबराहट और बेचैनी की समस्या के साथ सवाईमानसिंह अस्पताल की इमरजेंसी लाया गया। परिजन कार्डियक समस्या समझ रहे थे। लेकिन जांच रिपोर्ट उसकी सामान्य आई। चिकित्सकों ने परामर्श में इसे गर्मी का असर बताया।
इन्हें अधिक खतरा – खुले में या अंदर गर्म और आर्द्र वातावरण में काम करने वाले लोग – शरीर में पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं है – मोटापा या खराब फिटनेस – मधुमेह, गुर्दे और हृदय, उच्च रक्तचाप के मरीज, गर्भवती
– भारी, गहरे या हल्के कपड़े पहनने पर – चार वर्ष से कम आयु और 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग — लगातार तेज धूप के संपर्क में रहने, पहले से किसी बीमारी से ग्रसित होने पर एकदम से बेहोशी की हालत हो सकती है। कई मामलों में त्वचा लाल हो जाती है। पसीना नहीं निकलता। पहले से किसी बीमारी की दवाई ले रहे लोगों को इस समय सावधानी की अधिक जरूरत है। तेज गर्मी का असर मांसपेशियों, ब्रेन, लिवर, किडनी सहित अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है। पसीना नहीं निकलने से शरीर का तापमान बढ़ जाता है।
डॉ. रमन शर्मा, वरिष्ठ मेडिसिन रोग विशेषज्ञ