आरबीआइ के केएलईएमएस डेटाबेस के मुताबिक 2021-22 में नौकरी करने वाले लोगों की संख्या 55.3 करोड़ थी। इनमें करीब तीन करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पिछले 5 साल में 11 करोड़ नौकरियां बढ़ी हैं। देश में 2017-18 में 47 करोड़ लोग ही नौकरीपेशा थे। खास बात है कि 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार सबसे अधिक 23.7 करोड़ नौकरियां कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में सृजित हुईं। इसके बाद निर्माण में 6.8 करोड़ और व्यापार में 6.3 करोड़ नौकरियां सृजित हुईं। सबसे कम 3.24 लाख नौकरियां पेट्रोलियम उत्पादों के निर्माण में शामिल उद्योगों में थीं। प्लास्टिक उद्योग ने 13 लाख से अधिक नौकरियों का सृजन किया।आरबीआइ के केएलईएमएस डेटाबेस के अनुसार 2017-18 में देश में नौकरी करने वालों की संख्या करीब 47.1 करोड़ थी और अब यह करीब 58 करोड़ पहुंच गई है। गौरतलब है कि आरबीआइ का केएलईएमएस डेटा, उत्पादन में पांच इनपुट पूंजी (के), श्रम (एल), ऊर्जा (ई), सामग्री (एम) और सेवाओं (एस) के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
महामारी के दौरान बंद हुए अवसर फिर खुले अर्थशास्त्री और इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर (आइजीसी) के भारत कार्यक्रम के पूर्व निदेशक प्रोनब सेन ने कहा कि कोरोना के कारण रोजगार गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे। इसके कारण हमारी सामान्य बेरोजगारी की दर 3 फीसदी की तुलना में 9 फीसदी तक बढ़ गई। ऐसे में यह नौकरी के नए अवसर नहीं हैं, बल्कि महामारी के दौरान बंद हो गए नौकरी के अवसरों को फिर से खोलना है। यह इंगित करता है कि हमारी अर्थव्यवस्था कोविड काल से उबर रही है।