एसआइटी गठित कर जांच की मांग
शीर्ष कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि हिंदुओं के साथ धोखा करके कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की संपत्ति बिना किसी कानूनी अधिकार के अनधिकृत रूप से समझौता करके शाही ईदगाह को दे दी गई। यह समझौता बिल्कुल गलत है। कोर्ट घोषित करे कि श्रीकृष्ण जन्म सेवा संस्थान की ओर से 12 अगस्त, 1968 को शाही ईदगाह के साथ किया गया समझौता बिना क्षेत्राधिकार के किया गया था, इसलिए वह किसी पर भी बाध्यकारी नहीं है। इसके अलावा याचिका में एसआइटी गठित कर जांच की मांग की गई है।
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दूसरी बार दाखिल हुई है याचिका
आपको बता दें कि कृष्ण जन्मभूमि मामले में वकील मनोहर लाल शर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके है। इससे पहले भी मनोहर लाल ने साल 1998 में याचिका दाखिल की थी। जिसमें नोटिस भी हुआ था। लेकिन उनका वकील सुनवाई के दौरान पेश नहीं हो पाया, जिसके कारण याचिका को खारिज कर दिया गया।
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जुगल किशोर बिड़ला ने खरीदी थी संपत्ति
गौरतलब है कि 8 फरवरी, 1944 को जुगल किशोर बिड़ला ने 13,400 रुपये में कटरा केशव देव, ईदगाह और कारागार समेत सारी संपत्ति राय किशन दास और राय आनंद दास से खरीदी गई थ। जमीन की रजिस्ट्री मदन मोहन मालवीय, गोस्वामी गणेश दत्त और भीकनलाल अत्री के नाम करवाई। 1951 में जुगल किशोर बिड़ला ने कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट का गठन किया। उनका परिवार कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट का आजीवन ट्रस्टी है।