परिवहन विभाग का मुख्यालय होने के बाद भी यहां नियमों की अनदेखी की जा रही है। शहर के बस स्टैंड से ऐसी बसें संचालित होती दिख जाएंगी जिनके शीशे फूटे हुए हैं, बैक लाइट जलती नहीं है, इमजेंसी गेट खुलता नहीं है। स्पीड गर्वनर सिर्फ दिखावे के लिए, बसें 80 और 100 की स्पीड से दौड़ती मिल जाएंगी। यात्रियों की क्षमता से ज्यादा माल लदा होता है। ये बसें दिनभर सडक़ों पर दौड़ती मिल जाएंगी। विभाग को भी हादसे के बाद चेकिंग की याद आती है।
बस संचालक फिटनेस सटिर्फिकेट लेने के समय पूरे मापदंड को पूरा कर लेते हैं, यदि कुछ कमी होती है तो ले देकर पूरा करा लेते हैं। एक बार फिटनेस सटिर्फिकेट हाथ आ गया फिर सालभर अपनी मर्जी से बसों का संचालन करते हैं।https://www.patrika.com/gwalior-news/double-attack-of-weather-in-madhya-pradesh-severe-heat-in-gwalior-chambal-rain-alert-in-these-districts-18706767
नियमानुसार बसों में यात्रियों की सुविधाओं के व्यवस्था करने का नियम है, जिसमें अग्निशमक यंत्र, फस्र्ट बॉक्स, स्पीड गर्वनर, पेनिक बटन आदि की व्यवस्था होना चाहिए, लेकिन शहर में जो बसें चल रही है उनमें कुछ बसों में यह सामान है नहीं और जिन बसों में है वह उपयोग लायक नहीं।
- एचके सिंह, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, ग्वालियर जिला