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भारत में 2022-23 में असामान्य वायु गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार रहा ‘ट्रिपल-डिप’ ला नीना

शोध : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के वैज्ञानिकों का खुलासा
 

नई दिल्लीFeb 19, 2024 / 12:37 am

ANUJ SHARMA

भारत में 2022-23 में असामान्य वायु गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार रहा ‘ट्रिपल-डिप’ ला नीना

भारत में 2022-23 में असामान्य वायु गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार रहा ‘ट्रिपल-डिप’ ला नीना

नई दिल्ली. लगातार तीन साल (2022-23) ला नीना का दुनियाभर में मौसम पर व्यापक असर रहा। जलवायु परिवर्तन के साथ अप्रत्याशित ‘ट्रिपल-डिप’ ला नीना मौसम संबंधी गतिविधियों के कारण 2022-23 के शीतकाल के दौरान जहां उत्तर भारत में वायु गुणवत्ता में सुधार दिखा, वहीं प्रायद्वीपीय भारत में प्रदूषण स्तर में वृद्धि दर्ज की गई। एक नए अध्ययन में यह जानकारी दी गई।नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के चेयर प्रोफेसर गुरफान बेग की अगुवाई में वैज्ञानिकों की टीम का यह अध्ययन एल्सेवियर जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें कहा गया कि स्थानीय उत्सर्जन के अलावा तेजी से बदलती जलवायु वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाला अहम कारक है। सर्दियों (2022-23) के दौरान प्रायद्वीपीय भारत के शहरों में वायु गुणवत्ता काफी बिगड़ गई, जो हाल के दशकों के दौरान नजर आए रूझान के विपरीत है। उत्तर भारत के शहरों में गाजियाबाद में प्रदूषकों के स्तर में 33 फीसदी की कमी के साथ वायु गुणवत्ता में काफी सुधार आया, जबकि रोहतक और नोएडा क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। दिल्ली में करीब 10 फीसदी सुधार आया।
मुंबई में सबसे ज्यादा बढ़ा पीएम 2.5 स्तर

अध्ययन के मुताबिक मुंबई में पीएम 2.5 स्तर में 30 फीसदी की वृद्धि के साथ वायु गुणवत्ता सबसे ज्यादा बिगड़ गई। प्रायद्वीपीय भारत के अन्य शहरों में कोयंबूटर में प्रदूषकों में 28, बेंगलूरु में 20 और चेन्नई में 12 फीसदी की वृद्धि हुई। उत्तर भारत के कई शहरों में वायु गुणवत्ता राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत निर्धारित पंचवर्षीय लक्ष्य पर पहुंच गई। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि ऐसा क्यों हुआ, यह पहेली है।
सदी में पहली परिघटना

भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान के जलवायु विज्ञानी और अध्ययन के सह-लेखक आर.एच. कृपलानी का कहना है कि असामान्य ट्रिपल डिप ला नीना मौसमी गतिविधि के आखिरी चरण के दौरान 2022-23 का शीतकाल आया। यह 21वीं सदी में पहली परिघटना है। इस मौसमी गतिविधि ने बड़े पैमाने पर वायु प्रवाह पर असर डाला और उत्तर भारत के शहरों में प्रदूषकों को रोकने तथा वायु गुणवत्ता में सुधार लाने में निर्णायक भूमिका निभाई।

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