नई दिल्ली। आतंक के गुरु अफजल की फांसी की बरसी पर दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में कुछ स्टूडेंट्स द्वारा विरोध मार्च निकालकर देश विरोधी नारे लगाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। संसद पर हमले के आरोपी अफजल को फांसी के एक साल होने पर आयोजन कराने के मामले में दिल्ली पुलिस ने यूनिवर्सिटी स्टूडेंट प्रेसिडेंट कन्हैया कुमार को अरेस्ट कर लिया। लेकिन, जेएनयू पहली बार ऐसे विवादों में नहीं है, विरोधाभाषी मार्च-कैंपेन पहले भी होते रहे हैं। ये हैं इससे जुड़े 5 बड़े विवाद..
1. मॉरल पुलिसिंग पर लिप-लॉक कर विरोध विरोध करना: 9 नवंबर, 2014 को मोरल पुलिसिंग के विरोध में जेएनयू के करीब 200 छात्र ‘किस ऑफ लव’ कैंपेन में शामिल हुए थे। कई लड़के-लड़कियों ने दिल्ली के झंडेवालां इलाके में स्थित आरएसएस ऑफिस के बाहर लिप-लॉक कर विरोध प्रदर्शन किया था। पुलिस के मुताबिक इस दौरान यूनिवर्सिटी में वामपंथी विचारधारा से प्रेरित छात्र संगठनों एआईएसएफ (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन) और एआईएसए (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोशिएशन) के स्टूडेंट शामिल थे।
2. अफगल गुरु की फांसी के वक्त भी हुए थे विरोध प्रदर्शन: 9 फरवरी 2013 में आतंकी अफजल गुरु की फांसी के बाद देश की नामी इस यूनिवर्सिटी में देश विरोधी हरकतें सामने आईं थीं। कुछ छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किए थे, जिनमें ज्यादातर कश्मीर के स्टूडेंट्स थे।
3. बीफ-पोर्क पार्टी अभियान: जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में बीफ-पॉलिटिक्स भी हो चुकी है। 2011 में छात्रों के एक गुट ने बीफ (गौमांस) के समर्थन में “
JNU Foremention Committee for Beef and Pork Festival” बनाकर कैंपेन चलाया था, जिसमें बीफ पार्टी के आयोजन की खबरें आने के बाद विवाद बढ़ गया। इन छात्रों ने 28 सितंबर को खाने के अधिकार को लेकर बीफ पार्टी आयोजित करने की बात कही। जिस पर खूब बवाल मचा था।
4. देशविरोधी गतिविधियों के संचालन का आरोप: अफजल गुरु की फांसी का विरोध करने के अलावा जेएनयू में राष्ट्रद्रोही गतिविधियों के संचालन के आरोप भी लग चुके हैं। तत्कालीन दिल्ली बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष विजेंदर गुप्ता ने कहा था कि ऐसे ग्रुप माओवादियों से जुड़े हुए हैं। अगस्त 2013 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में संदिग्ध नक्सली गतिविधियों के आरोप में तीन युवक गिरफ्तार हुए थे। इनमें से एक आरोपी जेएनयू का छात्र था।
5. जेएनयू में राष्ट्रविरोधी गुटों को सक्रिय होने की खबरों के बीच बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि यहां एंटी नार्कोटिक्स सेल होनी चाहिए। सितंबर 2015 में उन्होंने ट्वीट किया था कि जेएनयू कैंपस में छापा मारकर जिहादियों, नक्सलियों को पकडऩे के लिए बीएसएफ कैंप और एंटी नारकोटिक्स ब्यूरो होना चाहिए। जेएनयू में प्रधानमंत्री मोदी के आने का भी विरोध हो चुका है।
6. यौन हमलों के कारण भी विवादों में: जेएनयू सेक्सुअल हरेसमेंट को लेकर भी विवादों में रही है। विगत दिसंबर में जेएनयू के स्कूल ऑफ सोशल साइंस के एक प्रोफेसर पर विदेशी स्टूडेंट ने यौन-उत्पीडन यौन आरोप लगाया था। जिसके बाद दोषी पाए जाने पर प्रोफेसर को बर्खास्त किया गया। यूजीसी के फिगर्स के अनुसार 2013-14 में देश के 104 उच्च संस्थानों में यौन-शोषण के मामलों में यह यूनिवर्सिटी 25 केसेस के साथ सबसे ऊपर रही।
Home / Special / अफजल की फांसी का विरोध ही नहीं, इन वजहों से भी विवादों में रही JNU