लखनऊ. बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है, और इस बार उनके द्वारा लिए गए आर्थिक फैसलों पर संदेह जताया है। बसपा राष्टीय अध्यक्ष ने सपा से सवाल करते हुए कहा कि सपा सरकार द्वारा मानदेय बढ़ाने व बर्तन बांटने आदि के लिये गये ये फैसले अब ठीक चुनाव से पहले ही क्यों? उन्होंने आगे कहा कि अब आगामी चुनाव में अपनी कुर्सी जाते हुये देखकर वर्तमान सपा सरकार के मुखिया द्वारा आए दिन जो भी बड़े-बड़े ‘‘आर्थिक‘‘ फैसले लिये जा रहे हैं उनकी बीएसपी सरकार में जाँच जरूर करवाई जायेगी।
मायावती ने सपा द्वारा किए गए विकास कार्यों को नाटकबाजी करार देते हुए कहा, अब जब प्रदेश में विधानसभा का आमचुनाव बहुत नज़दीक है तो सपा सरकार के उलझे मुख्यमंत्री समाज के विभिन्न वर्गों को लुभाने के लिये किस्म-किस्म की नाटकबाज़ी कर रहे है तथा अनेकों प्रकार की घोषणायें आदि कर रहे है।
होगी सपा सरकार की जांच
उन्होंने आगे कहा कि इसी क्रम में ग्राम प्रधानों का मानदेय 2,500 से 3,500 करने की घोषणा तथा मध्यान भोजन के अन्तर्गत स्कूली बच्चों को सपा सरकार की प्रचार सामग्री के तौर पर खाने का बर्तन देना आदि पूर्ण रुप से सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास है। क्या सपा सरकार ऐसे काम काफी पहले करके उनको लागू नहीं करवा सकती थी? इसके साथ-साथ अब आगे चुनाव में अपनी कुर्सी जाते हुये देखकर वर्तमान सपा सरकार के मुखिया द्वारा आयेदिन जो भी बड़े-बड़े ‘‘आर्थिक‘‘ फैसले लिये जा रहे हैं उनकी बी.एस.पी. सरकार में जरूर जाँच करवाई जायेगी
“पारिवारिक कलह से बाहर निकलना चाहिए सीएम अखिलेश को”
मायावती ने सपा सरकार पर जनहित व जनकल्याण के प्रति लगातार लापरवाही बरतने का भी आरोप लगाया और कहा कि यही कारण है कि डेंगू जैसी घातक बीमारी ने महामारी का रुप ले लिया है और काफी ज़्यादा लोगों की जान जा रही है, जिस कारण माननीय हाईकोर्ट को अब इस मामले में सीधे तौर पर दख़ल देने को मजबूर होना पड़ा है। वर्तमान स्थिति में डेंगू को तत्काल महामारी घोषित करने की ज़रूरत है।
इस बारे में माननीय कोर्ट के हस्तक्षेप व फैसले का स्वागत करते हुये मायावती ने आज जारी एक बयान में कहा कि कम-से-कम अब सपा परिवार के विवादित व सपा सरकार के उलझे मुख्यमंत्री को अपने पारिवारिक कलह व घमासान से थोड़ा समय निकालकर डेंगू की समस्या से जूझ रहे लोगों पर भी ध्यान देना चाहिये। इस बारे में माननीय कोर्ट में केवल यह मान लेना काफी नहीं है कि डेंगू से निपटने के मामले में ढिलाई व लापरवाही बरती गयी है, बल्कि इसके लिये तत्काल समुचित प्रभावी कार्रवाई करने की जरूरत है तथा दोषी लोगों के खिलाफ सख़्त क़ानूनी कार्रवाई तत्काल होनी चाहिये। रिपोर्ट के मुताबिक़ सरकार ने माननीय कोर्ट में माना है कि डेंगू से अब तक 113 मौतें हुई हैं, जबकि केवल राजधानी लखनऊ में डेंगू से 219 मौतों की खबर है तथा अस्पतालों में मरीजों की लम्बी कतार है तथा उनका काफी बुरा हाल है।