NHRC ने अखिलेश सरकार को जारी किया नोटिस, कहा यूपी के अस्पतालों में गरीबों की सुनवाई नहीं
गरीब आदमी इलाज
के आस में दम तोड़ देता है। आयोग ने अखिलेश सरकार से चार हफ़्तों में इसको
लेकर जवाब माँगा है।
लखनऊ। यूपी के सरकारी अस्पतालों में बदतर व्यवस्था को संज्ञान में लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने अखिलेश सरकार को नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में कहा गया है कि प्रदेश के अलग-अलग जगहों के अस्पतालों में हाल ही में तमाम ऐसे केस देखने को मिले, जिससे ये लगता है कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में गरीब आदमी की कोई सुनवाई नहीं होती। हालात इतने बदतर हैं कि गरीब आदमी इलाज के आस में दम तोड़ देता है। आयोग ने अखिलेश सरकार से चार हफ़्तों में इसको लेकर जवाब माँगा है।
आयोग ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सरकार ने गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज की सुविधा तो दे दी लेकिन यहाँ गरीबों की कोई सुनवाई नहीं होती। यहाँ के अस्पतालों में गरीब मरीजों के इलाज में लापरवाही के रोजना तमाम केस सामने आते रहते हैं। या यूँ कहें कि सरकार जिस गरीब आदमी के इलाज के उद्दयेश्य से इन सरकारी अस्पतालों पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। उस पर अस्पताल के कर्मचारी, डॉक्टर धब्बा लगा रहे हैं।
इन केसेज का लिया संज्ञान
– मिर्जापुर जिला अस्पताल मेंएक 70 साल का बुजुर्ग आदमी अपनी बेटी को कंधों पर लादकर इलाज कराने डॉक्टर के पास पहुंचा। इस दौरान उसे अस्पताल में स्ट्रेचर नहीं मिला।
– कासगंज जिले में 108 एम्बुलेंस सेवा के ड्राइवर ने सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो जाने के बाद डेड बॉडी को घर पहुंचाने के लिए 1500 रुपये की मांग की। रुपये न देने की स्थिति परिजन लाश को मोटरसाइकिल पर लादकर घर ले गए।
– कानपुर के एक सरकारी अस्पताल में एक पिता अपने 12 साल के बच्चे को लेकर अस्पताल पहुँचा। डॉक्टर ने बच्चे के इलाज करने से पहले ये कहा कि इलाज तभी होगा, जब बच्चे को स्ट्रेचर पर लेकर आओगे। इसके बाद पिता घंटों स्ट्रेचर ढूंढता रहा लेकिन उसे स्ट्रेचर नहीं मिला और बच्चे ने दम तोड़ दिया।
ये भी कहा है आयोग ने
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने ये भी कहा है कि राज्य सरकार को अपने नागरिकों को बेहतर इलाज की गारंटी लेनी चाहिए। सरकारी अस्पताल खासकर गरीब लोगों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए खोले गए हैं।