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अक्षय तृतीया 2018: इन उपायों से कर सकते हैं मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न

अक्षय तृतीय तिथि का आरंभ 18 अप्रैल प्रातः 3.45 पर होगा, जिसका समापन 19 अप्रैल को मध्यरात्रि 1.29 पर होगा

नोएडाApr 04, 2018 / 02:59 pm

sharad asthana

akshay tritiya
नोएडा। इस बार अक्षय तृतीया 18 अप्रैल को है। इसका बहुत महत्‍व है। इस दिन आप कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। नोएडा के नंगली वाजिदपुर के रहने वाले पंडित विनोद शास्‍त्री के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन किए जाने वाले किसी भी काम का अच्‍छा फल मिलता है। इस दिन कई शादियां होंगी। हालांकि, इसके लिए भी मुहूर्त है। उन्‍होंने बताया कि तृतीय तिथि का आरंभ 18 अप्रैल मतलब बुधवार प्रातः 3.45 पर होगा, जिसका समापन 19 अप्रैल मतलब गुरुवार को मध्यरात्रि 1.29 पर होगा।
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11 साल बाद बन रहा महासंयोग

उन्‍होंने कहा कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाई जाती है। उनके अनुसार, 11 साल बाद अक्षय तृतीया पर एक महासंयोग बन रहा है। यह है सर्वार्थसिद्धि योग। इस दिन किसी भी शुभ कार्य का विशेष फल मिलता है। इस दौरान दिनभर खरीदारी या कोई भी शुभकार्य किया जा सकता है। पंडित विनोद शास्‍त्री का कहना है कि इस दिन कभी भी शुभ कार्य किया जा सकता है।
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सोने-चांदी की वस्‍तुएं खरीदने से आती है समृद्धि

पुराणों के अनुसार, इस दिन सोने चांदी से बनी वस्‍तुएं खरीदने की परंपरा है। कहा जाता है कि इससे घर में समृद्धि आती है। विनोद शास्‍त्री का कहना है कि इस दिन सोने या चांदी के लक्ष्मी की चरण पादुका लाकर घर में रखें। इतना ही नहीं इसकी नियमित पूजा करें।
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देवी लक्ष्‍मी का हल्‍दी और केसर से करें पूजन

उन्‍होंने यह भी कहा कि इस दिन 11 कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर पूजा स्‍थल में रखें। इनका उपयोग कुछ लोग तंत्र-मंत्र में भी करते हैं। इससे देवी लक्ष्‍मी प्रसन्‍न रहती हैं। इस दिन देवी लक्ष्‍मी का केसर और हल्दी से पूजन करें। इससे आर्थिक दिक्‍कतें दूर हो सकती हैं। इसके अलावा पूजा स्थल में एकाक्षी नारियल स्थापित करें। उन्‍होंने कहा कि इस दिन पितरों को खुश करने से उनकी कृपा प्राप्‍त होती है।
इनका करना चाहिए दान

अक्षय तृतीया के दिन गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक, शहद और कन्या दान का महत्व है। जो जिस वस्तु की इच्छा रखता है यदि वह उसे बिना मांगे दे दी जाए तो दान देने वाले को फल मिलता है। कन्या दान इनमें सबसे अधिक अहम है, इसीलिए इस दिन कन्या का विवाह किया जाता है। कहा जाता है कि इस तिथि को व्रत रखने वाले पर मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होती है।

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