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नोएडा

हम तीन दिन पानी पीकर सोए, अम्मी भूख से मर गईं यह सुनने के बाद भी बहुत मुश्किल से मैं वहां रुका रहा

अमीरजहां की बेटियों ने बताया कि तीन दिन तीन तक हमने पानी पीकर गुजारा किया, लेकिन अम्मी मौत से जंग हार गई।

नोएडाFeb 15, 2018 / 04:21 pm

Ashutosh Pathak

ameer jahan and her family survive three days with water
नोएडा/ मुरादाबाद@ आशुतोष पाठक

यह किस्त अमीरजहां की बड़ी बेटी तबस्सुम की जुबानी है। इसमें उसने अपनी बात कैसेे कही, यह सिर्फ तीन लोग जानते हैं। खुद तबस्सुम, मैं और ऊपरवाला। यानी मेरा भगवान और उनका खुदा। आप चाहे, जिसे मानें। तबस्सुम के साथ उसकी दो छोटी बहनें रहनुमा और मुस्कान भी थीं। लेकिन मैं किसी से नजर नहीं मिला पा रहा था और न ही वे सब मुझसे। पूरा वाकया सुनते हुए बीच-बीच में उन्हें चोर नजरों से जरूर देख रहा था और सच कहूं तो बिल्कुल अपराधी की तरह। कारण, मैंने साफ देखा कि ठीक अपनी खुद्दार अम्मी अमीरजहां की तरह वह सब भी अपनी लाचारी और बेबसी किसी और से, यहां तक मुझसे भी बताना नहीं चाहती थीं। लेकिन मैं उनसे मिलने इतनी दूूर (दिल्ली) से आया था, इसलिए उन्होंने इसका मान रखा। और शायद इसीलिए पूरी बात मुंह घुमाकर इतनी जल्दी और धीमे से कही कि कोई और इसे सुन नहीं पाए। फिर भी मैं आप सबको उनका वाकया पेश करुंगा। ताकि आप भी जानिए और उसके बाद चाहे जो सोचिए या किजिए।
ameer jahan and her family survive three days with water
बच्चे झूठ नहीं बोलते। वे जो कहेंगे, सच कहेंगे, सच के सिवा कुछ भी नहीं कहेंगे। खासकर, वह मंजर जो खुद उनने या उनकी अम्मी ने झेला। इसीलिए युनुस से बात करने के बाद मैं उनकी तीनों बेटियों से बात करना चाहता था। अमीरजहां के साथ क्या हुआ। एक-एक दिन, एक-एक पल ये तीनों बेेटियां उनके साथ रही थीं। असल बात यही बताएंगे। मुरादाबाद के वे अफसर नहीं, जिन्हें अपने एयरकंडीशन्ड ऑफिस से बाहर निकलने की फुर्सत ही नही।
तबस्सुम ने कहा, हमारी अम्मी ने तीन दिन से खाना नहीं खाया था। कई दिनों से वह बीमार थीं। घर में राशन नहीं था। दुकानदार को अपनी परेशानी बताई, तो उन्होंने कहा हम बार-बार नहीं देंगे। हम कहीं और हाथ नहीं फैलाना चाहते थे। घर में राशन नहीं था और भूख से हम सब तड़प रहे थे, तब मोहल्ले वालों ने हमें खाने को दिया। अम्मी खाना हमें दे देती और खुद भूखे रहीं।
तबस्सुम से बात करने के बाद मैंने पड़ोस में रहने वाली रुखसाना और फिरोज से बात की। उनने भी यही बताया जो अब तक युनुस और उनके बच्चों ने कहा था। तो युनुस हों या तबस्सुम, या फिर रुखसाना और फिरोज। ये वे लोग हैं, जो अमीरजहां के मरने से पहले उनके बिल्कुल करीब थे। उनको पल-पल देख रहे थे, मिल रहे थे। हां युनुस दूर जरूर थे, लेकिन मरने से एक दिन पहले तक उनकी अमीरजहां से बात होती रही और इस बातचीत में सिर्फ और सिर्फ घर की तंगी और भूखमरी पर बात होती।
दूसरी तरफ मुरादाबाद प्रशासन और उसके अजीबो-गरीब दावे हैं। जी हां, वही प्रशासन जो शायद ही कभी अमीरजहां से रुबरु हुआ हो। जिसने कभी उनकी शक्ल तक नहीं देखी या फिर आवाज भी नहीं सुनी होगी। मगर एक झटके में अमीरजहां की मौत के कारणों पर अपना फरमान सुना दिया। यह सब कैसे हुआ वह अगली किस्त में पढ़ें।

(आप यह खबर पत्रिका डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। बता दें कि पत्रिका डॉट कॉम यूपी में बीते कुछ महीनों में भूख से हुई मौतों पर श्रंखला चला रहा है। यह उसी कड़ी में चौथी किस्त थी। इससे पहले तीसरी किस्त में आपने पढ़ा — अमीरजहां अपने नाम की तरह थीं, उनमें खुद्दारी थी, इसीलिए कभी हाथ नहीं फैलाया
युनुस खुदा वास्ते घर जल्दी आओ, बच्चे भूख से तड़प रहे हैं, अब मैं मर जाऊंगी

यह पढ़ने के बाद आपको शर्मिंदगी होगी कि हम किस समाज में रह रहे हैं अगली यानी पांचवी किस्त आप 16 फरवरी को पढ़ेंगे —”डीएम साब बोले, आप खुद सोचो, आज कोई भूख से मरेगा क्या, …और लंच के डिब्बे का चेन बंद कर लिया” —)

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