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नोएडा

CWG 2018: आर्मी का यह खली दिला सकता है भारत को गोल्‍ड मेडल

ऑस्‍ट्रेलिया के गोल्‍ड कोस्‍ट में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में बुलंदशहर का एक लाल स्‍वर्ण पदक के पास पहुंच गया है

नोएडाApr 14, 2018 / 01:07 pm

sharad asthana

satish kumar
नोएडा। ऑस्‍ट्रेलिया के गोल्‍ड कोस्‍ट में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में बुलंदशहर का एक लाल स्‍वर्ण पदक के पास पहुंच गया है। अब फाइनल में उसका मुकाबला इंग्‍लैंड के खिलाड़ी से होगा। हम बात कर रहे हैं बुलंदशहर के गांव पचौता निवासी सतीश कुमार की, जो इस समय बाॅक्सिंग के 91 किलो वर्ग में फाइनल में पहुंच चुके हैं। इससे बॉक्सिंग में स्‍वर्ण की उम्‍मीद बन गई है। 91 किलोग्राम वर्ग में उन्‍होंने शुक्रवार को सेमीफाइनल में सेशल्‍स के खिलाड़ी को शिकस्‍त दी। सेना में नायक सूबेदार सतीश को उसके साथी खली के नाम से बुलाते हैं।
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इस तरह करते थे प्रैक्टिस

शुक्रवार को टीवी पर सतीश का मैच देख रही उनकी मां गुड्डी बोल पड़ी, मेरे बेटे का मुक्‍का फैालादी है। उनकी मां का कहना है कि जब सतीश 11 साल का था, तब घर या गांव में बॉक्सिंग सीखने का कोई जरिया नहीं था। उस समय वह ट्यूब में रेत भरकर छत से टांग देता था और उस पर बॉक्सिंग की प्रैक्टिस करता था। पहले तो वह उससे बहुत नाराज हुईं लेकिन बाद में लगन देखकर उसके पास दूध की बाल्‍टी और गिलास रख देती थीं। खुराक के मामले में सतीश ने कभी समझौता नहीं किया।
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घर में बुलाते हैं भोलू

घर में प्‍यार से सतीश को भोलू बुलाते हैं। शुक्रवार को जब टीवी पर सतीश प्रतिद्वंद्वी पर मुक्‍के बरसा रहे थे तो ग्रामीण भोलू-भोलू का शोर मचा रहे थे। उनकी मां का कहना है कि सतीश को आर्मी में उसके साथी खली के नाम से बुलाते हैं। सतीश के बड़े भाई भी सेना में हैं जबक‍ि छोटा भाई नोएडा में रहकर बॉक्सिंग की प्रैक्टिस करता है। वहीं उनका एक छोटा भाई गांव में खेती में पिता का हाथ बंटाता है।
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पिता ने आंगन में रखा टीवी

शुक्रवार को मैच के दौरान उनके घर पर ग्रामीणों की भीड़ लगी थी। आर्मी में सूबेदार रहे सतीश यादव के पिता किरनपाल सिंह यादव ने घर के आंगन में ही टीवी लगाया हुआ था। मुकाबले के दौरान वहां भारत माता के नारे भी लगे। सतीश ने दो मिनट में ही सेशल्स के खिलाड़़ी को हरा दिया। सतीश के जीतते ही लोगों ने ढोल बजाकर जश्न मनाया।
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सेना में नायक सूबेदार हैं सतीश

सतीश कुमार सेना में नायक सूबेदार के पद पर तैनात हैं। इंचियोन में 2014 में हुए एशिकयन गेम्‍स में उन्‍होंने कांस्‍य पदक जीता था। इससे उन्‍होंने अपने अंदर की क्षमता को प्रदर्शित किया। 2015 के एशियन बॉक्सिंग चैंपिशनशिप में उन्‍होंने फिर से कांस्‍य झटका और विश्‍व बॉक्सिंग चैंपियपशिप का टिकट पाया। अब वह लगातार ऊंचाइयों को छू रहे हैं।

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