नोएडा प्राधिकरण के ट्रैफिक सेल के अफसरों ने बताया कि इस साइकिल स्टैंड के लिए शहर में ई-साइकिल के लिए 62 डॉकिंग स्टेशन प्रस्तावित हैं। जिनमें से 60 स्टैंड बनकर तैयार हैं। इस परियोजना के चलते हर स्टैंड में 10 साइकिल रखी जाएंगी। बता दें कि इन निजी एजेंसियों को स्टैंड पर विज्ञापन से 25 फीसदी आमदनी देने का सुझाव दिया गया है। इसके साथ ही लोगों को ई-साइकिल के लिए प्रेरित करने के लिए प्राधिकरण के कर्मचारियों को इसकी शुरूआत करनी होगी। जिसके चलते अथॉरिटी के कर्मचारियों को 50 प्रतिशत कम किराए पर साइकिल दिए जाने का सुझाव दिया गया है। वहीं साइकिल रिपेयरिंग के लिए भी 100 स्क्वायर मीटर जगह दी गई है। इन सभी सुझावों के प्रस्तावों को तैयार कर प्राधिकरण की सीईओ ऋतु महेश्वरी को भेजा गया है। वहीं इस परियोजना में कम फायदा होना और घाटे की आशंका से कई निजी कंपनिया इस प्रोजेक्ट में शामिल नहीं हो रही हैं।
साल 2019 में इस योजना के लिए टेंडर जारी किया गया। लेकिन कई एजेंसियो ने ई-साइकिल योजना का हिस्सा बनने में खासी दिलचस्पी नहीं दिखाई। बता दें कि इस प्रोजेक्ट के चलते मोबिलिटी प्लान का हिस्सा बनने वाली कंपनी को 62 डॉकिंग स्टेशनों पर 620 ई-साइकिल उपलब्ध करानी होगी जिसमें करीब डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश होगा। हालांकि एजेंसी को हर स्टैंड पर 2 ईसीएस और दो कारों की पार्किंग के बराबर जमीन देने की बात भी की गई लेकिन कंपनियों को उनकी लागत फंसने का डर सता रहा था, जिसके चलते कई बार योजना की शर्तों में कई बार संशोधन किया जा चुका है। ई-साइकिल स्टैंड को शहर के सभी मेट्रो स्टेशन, सरकारी कार्यालय, बस अड्डे और महत्वपूर्ण बाजारों के पास बनाया गया है। इस योजना के चलते शहर में सार्वजनिक यातायात को बढ़ावा तो मिलेगा ही इसी के साथ प्रदूषण में भी कमी आएगी प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि एक कम्पनी के साथ करार करके इस योजना को शहर में लागू किया जा रहा है। वहीं साइकिलों का किराया एक स्टैंड से दूसरे स्टैंड के बीच दूरी के आधार पर तय किया जाएगा।