( Pitru Paksh )पितृ पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व-
Importance of Ekadashi Vrat- Ekadashi Vrat ke mahatva शास्त्रों के अनुसार कोई पूर्वज अगर जाने-अनजाने में हुए पाप कर्मों की वजह से दंड भोग रहा होता है तो पितृ पक्ष की एकादशी के दिन विधिपूर्वक व्रत कर उनके नाम से दान करें तो पूर्वजों अपने दोष से मुक्त हो जाता है और उसे मोक्ष मिलता है। सिर्फ पूर्वजों को ही नहीं बल्कि व्रत करने वाले को भी मृत्यु के बाद अच्छा फल मिलता है। व्रती के सभी पाप नाश हो जाते हैं और उनकी आत्मा भटकती नहीं है।
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पितृ पक्ष में एकादशी व्रत करने के लिए एक दिन पहल से ही यानी दशमी से ही प्रयोजन शुरु हो जाता है। दशमी की रात को भोजन नहीं किया जाता, फलाहार कर सकते हैं। अगले दिन एकादशी को सुबह उठ कर स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें, उन्हें पीले फूल, प्रसाद आदि चढ़ाकर पूजा करें। इसके बाद व्रती पितरों के लिए पिंड दान करें। इस दिन उड़द की दाल की पुड़िया, बड़े बानकर उन्हें अर्पित करें।
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पारण का समय- paran samay shubh muhurat
एकादशी के व्रत में केवल फलाहार करना चाहिए और अगले दिन शुभ मुहूर्त में पारण करना होता है। इंदिरा एकादशी के पारण का समय 6 अक्टूबर सुबह 6:24 से 8:44 मिनट पर है