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नोएडा

मायावती के इस फैसले से यूपी की सियासत में आयेगा बड़ा बदलाव, केंद्र से लेकर राज्य सरकार की भी टिकी नजरें

लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटी है। यूपी में महागठबंधन की तैयारी की जा रही है।

नोएडाOct 22, 2018 / 08:22 pm

virendra sharma

mayawati

मायावती के इस फैसले से यूपी की सियासत में आयेगा बड़ा बदलाव, केंद्र से लेकर राज्य सरकार की भी टिकी नजरें

नोएडा. लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटी है। यूपी में महागठबंधन की तैयारी की जा रही है। महागठबंधन पर मायावती कांग्रेस पार्टी को दो टूक जवाब दे चुकी है। वहीं सपा और बसपा के बीच में गठबंधन को लेकर क्यास लगाए जा रहे है। माना जा रहा है कि मायावती और अखिलेश के बीच में गठबंधन होता है तो इनके सामने गेस्ट हाउस कांड भी खड़ा हुआ है। सु्प्रीम कोर्ट में 13 नवंबर को 28 साल पुराने गेस्ट हाउस कांड पर सुनवाई होनी है। सपा और बसपा के बीच गठबंधन के लिए भी यह फैसला अहम होगा।
कोर्ट की सुनवाई पर एक तरफ जहां केंद्र सरकार की टिकी हुई है, वहीं उनके गांव बादलपुर के लोगों की भी नजर है। बादलपुर के रहने वाले बुजुर्ग श्यामलाल सिंह की माने तो गेस्ट हाउस जैसी घटना नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने का फैसला मायावती का है। जैसा वो उचित समझे कर सकती है।
स्रीम कोर्ट के फैसले से पहले महागठबंधन को लेकर दो मायने निकाले जा रहे है। कोर्ट का यह फैसला एक के पक्ष में आना है। 28 साल पहले दर्ज कराए गए केस को मायावती वापस लेंगी। यह बड़ा सवाल है। मुलायम सिंह यादव, आजम खान, शिवपाल यादव, बेनी प्रसाद वर्मा समेत अन्य के खिलाफ एससी व एसटी केस में फैसला होगा। हालाकि 19 सिंतबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को 6 सप्ताह के भीतर फैसला कर सूचना देने की बात कहीं है। अब यह समय खत्म हो रहा है।
बदलेंगे राजनीति के मायने

बसपा सुप्रीमो मायावती की तरफ से मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव, आजम खान, बेनी प्रसाद वर्मा समेत अन्य के खिलाफ केस में नाम शामिल कराए गए थे। गेस्ट हाउस कांड 2 जून, 1995 को हुआ था। उस समय सपा व बसपा दोनों एक साथ थे। 13 नवंबर को सुनवाई से पहले दोनों के बीच में समझौते पर सभी की नजर होगी। मायावती की तरफ से सपा नेताओं पर एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज है और एंटी करप्शन मामले में दो केस।
फिलहाल मुलायम और शिवपाल की राह बदल चुकी है। वहीं अखिलेश यादव राजनैतिक विरासत संभाल चुके है। माना जा रहा है कि गेस्ट हाउस कांड को भुलकर मायावती 2019 लोकसभा चुनाव में सपा का साथ देगी।

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