कोर्ट की सुनवाई पर एक तरफ जहां केंद्र सरकार की टिकी हुई है, वहीं उनके गांव बादलपुर के लोगों की भी नजर है। बादलपुर के रहने वाले बुजुर्ग श्यामलाल सिंह की माने तो गेस्ट हाउस जैसी घटना नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने का फैसला मायावती का है। जैसा वो उचित समझे कर सकती है।
स्रीम कोर्ट के फैसले से पहले महागठबंधन को लेकर दो मायने निकाले जा रहे है। कोर्ट का यह फैसला एक के पक्ष में आना है। 28 साल पहले दर्ज कराए गए केस को मायावती वापस लेंगी। यह बड़ा सवाल है। मुलायम सिंह यादव, आजम खान, शिवपाल यादव, बेनी प्रसाद वर्मा समेत अन्य के खिलाफ एससी व एसटी केस में फैसला होगा। हालाकि 19 सिंतबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को 6 सप्ताह के भीतर फैसला कर सूचना देने की बात कहीं है। अब यह समय खत्म हो रहा है।
बदलेंगे राजनीति के मायने बसपा सुप्रीमो मायावती की तरफ से मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव, आजम खान, बेनी प्रसाद वर्मा समेत अन्य के खिलाफ केस में नाम शामिल कराए गए थे। गेस्ट हाउस कांड 2 जून, 1995 को हुआ था। उस समय सपा व बसपा दोनों एक साथ थे। 13 नवंबर को सुनवाई से पहले दोनों के बीच में समझौते पर सभी की नजर होगी। मायावती की तरफ से सपा नेताओं पर एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज है और एंटी करप्शन मामले में दो केस।
फिलहाल मुलायम और शिवपाल की राह बदल चुकी है। वहीं अखिलेश यादव राजनैतिक विरासत संभाल चुके है। माना जा रहा है कि गेस्ट हाउस कांड को भुलकर मायावती 2019 लोकसभा चुनाव में सपा का साथ देगी।