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दरअसल, गौतमबुद्ध नगर में तमाम जगहों पर निर्माण कार्य धल्ले से चल रहा है। इनमें कई तो अवैध रूप से भी चल रहे हैं। जिनके लिए न तो प्राधिकरण से अनुमति ली जाती है और न ही सुरक्षा के कोई इंतजाम किए जाते हैं। बावजूद इसके अधिकारी आंख मूंदे हादसों का इंतजार करते रहते हैं। इसी महीने में बारिश के चलते कई सोसायटियों में प्लास्टर व छज्जा गिरने जैसे मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें लोग घायल भी हुए हैं। शाहबेरी का हादसा नहीं भुला सके लोग ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी इलाके में हुए हादसे को लोग आज तक भुला नहीं पाए हैं। 2018 में हुए इस हादसे में चार मंजिला इमारत गिरने से 9 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद से यहां पर जांच हुई। खतरनाक और नींद कमजोर नींंव वाली इमारतों को तोड़ने का भी फैसला हुआ, लेकिन कोई खास कार्रवाई होती नजर नहीं आई है। उधर, इस जगह पर फिर से निर्माण होने के आरोप अक्सर लगते आ रहे हैं।
यह भी पढें: नोएडा में गिरी बिल्डिंग, दो की हुई मौत, बचाव कार्य जारी दो दिन पहले गिर गई थी चौकी बता दें कि दो दिन पूर्व बिलासपुर में एक पुलिस चौकी की छत का काफी बड़ा हिस्सा ढह गया। गनीमत यह रही कि जब भी हादसा हुआ उस समय कोई पुलिसकर्मी वहां मौके पर मौजूद था। एक अन्य हादसा हादसे में थाना बीटा-2 के एनटीपीसी सोसाइटी में हुआ। जिसमें इलेक्ट्रिशियन का काम कर रहा था और उसके ऊपर निर्माणाधीन मकान का छज्जा गिर गया। जिसमें दबकर उसकी मौत हो गई।
धल्ले से बन रही अवैध इमारतें गौरतलब है कि ग्रेटर नोएडा में शाहबेरी के समान इटैड़ा, खेड़ा चौगानपुर, बिसरख आदि इलाकों में इन दिनों काफी संख्या में धड़ाधड़ अवैध इमारतें बन रही हैं। इनका न तो इनका कोई नक्शा होता है और न ही किसी आर्किटेक्ट आदि की सलाह ली जाती है। ऐसे में इन इमारतों की भूकंप या अन्य कोई प्राकृतिक आपदा सहने की क्षमता का पता ही नहीं चल पाता है। नोएडा में भी यही स्थिति है। यहां भी सर्फाबाद, बहलोलपुर, गढ़ी-चौखंडी जैसे इलाकों में बगैर नक्शे आदि के धड़ाधड़ अवैध इमारतें बन रही हैं। ऐसे में इन इलाकों में भी दुर्घटना हो सकती है।