नोएडा

RTI में गृह मंत्रालय का खुलासा, पिछले 10 वर्षों में असम राइफल्स के 89 जवान कर चुके हैं खुदखुशी

खबर की मुख्य बातें-
-असम राइफल्स के 89 जवानों को आत्महत्या के कारण खो दिया है
-सबसे ज्यादा 2017 में 12 सैनिकों ने आत्महत्या की, जबकि 2010 में 10 सैनिकों ने आत्महत्या की
-पिछले दस वर्षों में आईटीबीपी के 62 जवान ख़ुदकुशी कर चुके हैं

नोएडाJul 30, 2019 / 04:02 pm

Rahul Chauhan

RTI में गृह मंत्रालय का खुलासा, पिछले 10 वर्षों में असम राइफल्स के 89 जवान कर चुके हैं खुदखुशी

नोएडा। पिछले दस वर्षों में देश ने असम राइफल्स के 89 जवानों को आत्महत्या के कारण खो दिया है। यह जानकारी नोएडा निवासी एवं समाजसेवी रंजन तोमर को ग्रह मंत्रालय में लगाई गई एक आरटीआई से प्राप्त हुई है। गौरतलब है कि इससे कुछ दिन पहले ही तोमर की आरटीआई से यह खुलासा किया था कि पिछले दस वर्षों में आईटीबीपी के 62 जवान ख़ुदकुशी कर चुके हैं।
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रंजन तोमर का कहना है कि आरटीआई में दी गई जानकारी के अनुसार आत्महत्या करने वाले सैनिकों में नायक सूबेदार जवान आदि आते हैं अथवा जूनियर कमिशनड अफसर जो कि अमूमन हवलदार इत्यादि के पद से पदोन्नत होकर आते हैं शामिल हैं। वहीं अफसर जैसे के लेफ्टिनेंट, मेजर, कप्तान, कर्नल, ब्रिगेडियर आदि बड़े पदों पर किसी के भी आत्महत्या करने की कोई रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है।
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उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा 2017 में 12 सैनिकों ने आत्महत्या की, जबकि 2010 में 10 सैनिकों ने आत्महत्या की। इससे यह बात साफ है कि न तो कांग्रेस के राज में न ही अब भाजपा के राज में कुछ ख़ास बदलाव हैं। तुलनात्मक रूप से तब भी जूनियर पदों पर कार्यरत जवान आत्महत्या कर रहे थे और आज भी कर रहे हैं। अर्थात सरकार को इस बाबत जल्द सोचना होगा।
रिटायर्ड ब्रिगेडियर अशोक हक के अनुसार जवानों को छुट्टी न मिलना, ज्यादा समय तक कठिन जगहों पर तैनाती, परिवार से लम्बे समय तक दूर रहना, बड़े अधिकारीयों द्वारा काउंसलिंग न होना, पैसे की कमी, शादी में समस्या, घरेलू समस्याएं आदि इसका कारण हो सकती हैं।
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वहीं रिटायर्ड कर्नल शशि वैद का मानना है कि इन जवानों की समस्याओं को समझने की आवश्यकता है, ताकि इस समस्या से बाहर निकला जा सके। इनकी विशेष ट्रेनिंग भी आवश्यक है। मानसिक रूप से मजबूत करने वाली काउंसलिंग, बेहतर मेडिकल, राशन एवं वेतन को बढ़ाने की भी जरूरत है।
तोमर का कहना है कि चीजों को बदलने की ज़रूरत है। हम अपने जवानों को ऐसे नहीं मरने दे सकते। वह हमारा मान हैं और देश के लिए वह अपना जीवन दांव पर लगा रहे हैं। ऐसे में सरकारों को चाहिए कि वह कड़े कदम उठाये, नई ट्रेनिंग प्रक्रिया, कार्य शैली में अमूल चूल बदलाव करें। अन्यथा हमारे रक्षक ही यदि सुरक्षित नहीं होंगे तो देश कैसे सुरक्षित बचेगा।

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