नई दिल्ली/नोएडा। अब इसे समय के साथ समझौता करना कहें या पार्टी और सम्मान बचाने की कोशिश लेकिन खबर है कि मुलायम सिंह ने बेटे अखिलेश के सामने झुकने की बात स्वीकार कर ली है. यानी अब इस बात की सम्भावना है कि समाजवादी पार्टी नहीं टूटेगी और सपा साइकिल चुनाव चिन्ह पर ही अपना अगला चुनाव लड़ेगी.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मुलायम खेमे ने चुनाव आयोग के सामने अपनी ऐसी कोई शर्त नहीं रखी जिसको अखिलेश अस्वीकार कर सकें. लेकिन मुलायम सिंह खुद अपने लिए एक सुरक्षित भूमिका की तलाश कर रहे हैं. यहां तक खबर है कि अब मुलायम सिंह ने अखिलेश को ही पार्टी की हर तरह की कमान सौंपने पर भी सहमत हो गए हैं. बता दें कि अभी तक यह माना जाता था मुलायम सिंह पार्टी के अध्यक्ष बनने को लेकर जंग चल रही है और दोनों ही पक्ष अध्यक्ष पद को न छोड़ने की बात पर अड़े हुए हैं.
सपा सूत्रों के मुताबिक इतनी बड़ी तकरार होने के बावजूद मुलायम सिंह का अखिलेश के प्रति प्रेम बिलकुल भी कम नहीं हुआ है और उनकी अंदरूनी चाहत यही है कि अखिलेश ही समाजवादी पार्टी का भविष्य बनें. अपनी यह चाहत वे बार-बार जाहिर भी करते रहे हैं, लेकिन कतिपय कारणों के चलते वे अपनी मांग पर अड़े हुए थे. लेकिन अब जब कि बात समाजवादी पार्टी के नाम और निशान की आयी तो अब वे खुलकर बेटे की सत्ता स्वीकार करने पर सहमत हो गए हैं.
जानकारी के मुताबिक शुक्रवार शाम या शनिवार तक इस मामले में चुनाव आयोग कि तरफ से सूचना भी सामने आ सकती है कि उसने अंततः किस प्रकार का रुख अपनाया. लेकिन इसी के साथ अब इस बात की सम्भावना लगभग खत्म हो गयी है कि चुनाव आयोग अब साइकिल चुनाव निशान जब्त करेगा और दोनों ही खेमे को नया निशान आवंटित करेगा.
पिछले तीन महीने से अखिलेश और उनके चाचा शिवपाल के बीच पार्टी की कमान को लेकर जंग चलती रही है. बाद में शिवपाल की बजाय खुद मुलायम सिंह अखिलेश के सामने आ गए. इससे जाहिर है कि अखिलेश की स्थिति काफी असहज हो गयी थी. वे यह निर्णय नहीं कर पा रहे थे कि वे अपने पिता के सामने कैसे खड़े हों, लेकिन पार्टी के भविष्य के नाम पर अंततः उन्हें अपने पिता मुलायम के सामने लाकर खड़ा कर ही दिया.