इस मौके पर ललित कला अकादमी की विभागाध्यक्ष अलका तिवारी ने कहा कि हमें सैनिकों के बलिदान को हमेशा याद रखना चाहिए। उनकी बदौलत ही हमारे देश की सीमाएं सुरक्षित हैं व हम लोग चैन की नींद सो पाते हैं। पुलवामा हमले में शहीद हुए 44 वीर देशभक्त सैनिकों ने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। ऐसे में हमने उन शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए यह अनोखा तरीका अपनाया।
विभागध्यक्ष अलका तिवारी ने कहा कि देश वीर जवानों की शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देगा। इस मौके पर पुलवामा के शहीदों के परिजनों को शहीदों की तरह सम्मान दिए जाने, परिजनों और बच्चों को सभी सुविधाएं देने के साथ ही इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति पर रोक लगाने की मांग की गई।
बता दें कि जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर पुलवामा में आतंकियों ने आज ही के दिन फिदायीन हमला कर सीआरपीएफ के 44 जवानों को बम से उड़ा दिया था। कोई घर आने वाला था तो कोई छुट्टी बिताकर खट्ठीमीठी यादों संग अपने घर से विदा होकर सरहद की निगेहबानी के लिए पहुंचा ही था। कोई विवाह के बंधन में बंधने वाला था तो किसी की दुल्हन के हाथ की मेंहदी भी छूटी नहीं थी।
शहीद जवानों के परिवारों का दुख देखकर पूरा देश रो पड़ा था। पुलवामा हमले में सबसे अधिक दर्द उत्तर प्रदेश ने झेला था। 44 शहीद जवानों में 12 उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। शहीदों के पार्थिव शरीर जब उनके पैतृक गांव पहुंचे थे तो हजारों लोग हाथों में तिरंगा और जुबां पर भारत माता की जय व चेहरे पर शहादत पर गर्व के भाव के साथ अंतिम यात्रा में शामिल हुए थे।