जस्टिस अरुण मिश्रा और यू.यू ललित की पीठ ने सुनवाई के दौरान फ्लैट बायर्स की ओर से दिए गए फंड के डायवर्जन की जांच ईडी को सौंपी है। ईडी को आम्रपाली समूह (Amrapali Group) और उसके चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर, डायरेक्टर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज करने के भी निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा वरिष्ठ वकील आर वेंकटरमानी को कोर्ट रिसीवर नियुक्त किया गया है, जो ट्राई पार्टी एग्रीमेंट के तहत आम्रपाली की प्रॉपर्टी को बेचकर बकाया राशि जुटाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि बिल्डर जब फंड इधर से उधर कर रहा था तब बैंक और प्राधिकरण भी अपी आंखें मूंदे रहे। उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार उन बिल्डरों पर कार्रवाई सुनिश्चित करें जो अभी तक भी लोगों को फ्लैट नहीं दे रहे हैं।
आम्रपाली बायर्स एसोसिएशन मेंबर के.के कौशल ने बताया कि आम्रपाली बिल्डर की फोरेंसिक ऑडिट में फ्रॉड की पुष्टि हुई है। जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में आम्रपाली बिल्डर का रियल एस्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरिटी (Rera) रजिस्ट्रेशन रद्द करने के निर्दश दिए हैं। अब आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्टों एनबीसीसी पूरा करेगा। इसके लिए एनबीसीसी को 8 प्रतिशत कमीशन मिलेगा। फेमा के तहत जिम्मेदार लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। बिल्डर ने बायर्स के पैसे को विदेश में इनवेस्ट किया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली बिल्डर के सीए मित्तल को भी जिम्मेदार करार दिया है।