नोएडा. आखिरकार सीएम अखिलेश यादव ने एक बार फिर नोएडा की योजनाआें का लोकार्पण लखनऊ से कर दिया है। लखनऊ में आयोजित इस कार्यक्रम में जहां अखिलेश ने योजनाओं का लोकार्पण किया वहीं उन्होंने नोएडा आगमन पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि वे पहले नोएडा आकर ही इन योजनाओं का लोकार्पण करना चाहते थे, लेकिन कुछ राजनीतिक साथियों ने समझाया कि अभी वहां जाना ठीक नहीं है। एक बार फिर सरकार बन जाए तो नोएडा चले जाना। यहां बता दें कि यह पहली बार है जब किसी सीएम ने नोएडा न आने पर अपना दर्द जनता से साझा किया है। आखिर ऐसी क्या वजह कि यूपी के सीएम नोएडा आने से कतराते हैं आइए आपको बताते हैं-
एक बार फिर सीएम
अखिलेश यादव अपने ही प्रदेश के शो विंडो कहे जाने वाले नोएडा में आने से डर
गए हैंं। दरअसल पहले कहा जा रहा था कि सीएम अखिलेश यादव नोएडा पहुंचकर यहां आैर ग्रेटर
नोएडा और नोएडा की कर्इ योजनाआें को लोर्कापण करेंगे, लेकिन इस शहर में आते ही सीएम
की कुर्सी जाने के टोटके के डर से सीएम ने अाने से मना कर दिया और सीएम
अखिलेश यादव ने लखनऊ से ही नोएडा व ग्रेटर नोएडा की कर्इ योजनाआें को लोर्कापण कर दिया।
बढ़ती रही डेट, बाद में आने का प्रोग्राम किया निरस्त
बता दें कि मुख्यमंत्री
ने प्रदेश में खास अहमियत रखने वाले गौतमबुद्धनगर जिले के नोएडा आैर
ग्रेटर नोएडा में कर्इ योजनाआें पर काम कराया है। उन्हीं के आदेश पर यहां
साइकिल ट्रैक, नोएडा में एलीवेटेड रोड, सिटी सेंटर अंडरपास, सिटी बस सेवा
संचालन समेत कर्इ योजनाआें पर काम किया गया। इनके तैयार होने पर सीएम
अखिलेश यादव इनका लोर्कापण करने खुद नोएडा आ रहे थे। सीएम के नोएडा में आने की तारीख पहले चार दिसंबर तय हुई थी। फिर
इसके बाद 9 आैर फिर 11 दिसंबर रखी गर्इ थी। इसके बाद अचानक सपा के जिला प्रवक्ता राघवेंद्र
दूबे ने बताया कि सीएम अखिलेश यादव नोएडा नहीं आएंंगे। वह लखनऊ से ही सभी
योजनाआें का लोकार्पण करेंगे।
मुख्यमंत्री बनने के बाद से नोएडा नहीं आए अखिलेश
बता दें कि 2012
में चुनाव जीतने के बाद सपा से अखिलेश यादव मुख्यमंत्री चुने गए थे। इससे
पहले वह साइकिल यात्रा निकालने नोएडा पहुंचे थे, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के
बाद उन्होंने इससे दूरी बना ली। हालांकि, सरकार ने शहर में कर्इ योजनाआें
पर काम किया। इसके साथ ही कर्इ अापराधिक मामलों में भी पीड़ित परिवारों को
सांंत्वना आैर मुआवजा दिया, लेकिन वह एक बार भी नोएडा या ग्रेटर नोएडा नहीं
पहुंचे। सीएम ने पीड़ितों को सीएम आॅफिस बुलाकर ही सभी की मदद की।
इस टोटके से डरते हैंं सीएम, नहीं आते नोएडा
हम
आपकों बताते है कि पिछले कुछ साल के रिकाॅर्ड एेसे हैंं कि जो भी
मुख्यमंत्री नोएडा का दौरा करता है। उसके कुछ ही दिनों में उनकी सरकार चली
गर्इ। यहीं कारण है कि मुख्यमंत्री नोएडा आने से बचते हैंं। जिसने भी यह
हिम्मत की वह अगली बार सीएम नहीं बना। अखिलेश यादव भी यह रिकॉर्ड देखते
हुए हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। वो ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहते हैं,
जो उन्हें सीएम की कुर्सी से दूर ले जाए। वह बिना नोएडा आए ही यहां की
योजनाओं का लोकार्पण लखनऊ से ही कर देते हैं। 30 नवंबर को भी उन्होंने बाबा
रामदेव के फूड पार्क का शिलान्यास लखनऊ से ही किया। इससे पहले उन्होंने
यमुना एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन लखनऊ से ही किया था। वहीं जब प्रधानमंत्री
और राष्ट्रपति नोएडा में आए तो उनकी अगवानी करने के लिए भी अखिलेश यादव ने
नोएडा का रुख नहीं किया था। आज लखनऊ में लोकार्पण कार्यक्रम में भी अपने इसी दर्द को सीएम अखिलेश ने जनता के सामने बयां किया।
इनकी जा चुकी है कुर्सी
1985
में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने वीर बहादुर सिंह ने नोएडा का दौरा
किया। इस पर तीन सालों में ही उनकी सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी। उसके बाद
से ही मुख्यमंत्रियों के दौरे और नोएडा के बीच संबंधों का आकलन किया जाने
लगा। 1989 में नोएडा आने वाले एनडी तिवारी भी सत्ता से बाहर हो गए थे।
वहीं, 1995 व 1999 में कल्याण सिंह पर भी नोएडा दौरा काफी भारी पड़ गया था।
मुलायम सिंह यादव ने भी नोएडा दौरे के बाद सीएम पद की कुर्सी गंवा दी थी।
2011 में मायावती भी नोएडा दौरे के बाद सत्ता से बाहर हो गई थी।