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आपकी बात, क्या प्रदूषण नियंत्रण के लिए नए कानून की जरूरत है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया, पाठकों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी। पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं

 

नई दिल्लीOct 27, 2020 / 05:33 pm

shailendra tiwari

pollution increase

pollution increase

जरूरी है सख्त कानून
नए प्रदूषण नियंत्रण कानून की जरूरत है, क्योंकि भारत प्रदूषण के मामले में विफल रहा है। यही वजह है कि अमरीका के राष्ट्रपति चुनाव में भी भारत के प्रदूषण को मुद्दा बनाया जाता है। अगर पुराने कानून कारगर होते, तो भारत में प्रदूषण नियंत्रित होता। हालत यह है कि वर्तमान में भारत के कई शहरों में तो श्वास लेने लायक शुद्ध हवा भी नहीं है। इसलिए प्रदूषण नियंत्रण के लिए नए कानूनों का निर्माण कर उनको सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
-आनंद सिंह बीठू, सींथल , बीकानेर
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कानून में संशोधन किया जाए
नए कानून की जरूरत इसलिए नहीं है, क्योंकि प्रदूषण नियंत्रण के लिए वर्तमान में कई कानून बने हुए हैं। प्रदूषण नियंत्रण के लिए मौजूदा कानून में ही संशोधन कर उसका कड़ाई से पालन करवाया जाए। साथ ही लोगों में जागरूकता लाकर प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।
-सन्नी ताम्रकार, दुर्ग छत्तीसगढ़
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पर्याप्त हैं कानून
प्रदूषण नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई कानून पहले से ही बन चुके हैं। जरूरत है उनको प्रभावशाली तरीके से लागू करने की। पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इन कानूनों को ढंग से लागू करना होगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को ये अधिकार दे दिए जाएं कि वे नियमों का उल्लंघन करने वाले उद्योगों को या तो बंद करा दें या बिजली व पानी की सप्लाई ही रुकवा दें।
-अशोक कुमार शर्मा, झोटवाड़ा, जयपुर
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संयुक्त राष्ट्र से अपेक्षा
प्रदूषण विश्वव्यापी समस्या है। प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए हर देश ने अपने-अपने कानून बना रखे हैं। हर देश के अपने कानून होने के बावजूद प्रदूषण की समस्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। इसका प्रमुख कारण है कि जो कानून बनाए गए हंै उन कानूनों का सख्ती से पालन नहीं किया जाता। न तो सरकार उन कानूनों को ठीक से लागू कर पाई है और न ही जनता ने इन कानूनों को ईमानदारी के साथ अपनाया है। इसलिए अब समय आ गया है कि विश्वस्तर पर संयुक्त राष्ट्र ऐसे कड़े कानून बनाए, जिनका पालन करना सभी देशों के लिए अनिवार्य हो। जो देश अपने यहां इन कानूनों का सख्ती से पालन कराने में असमर्थ हों, उन पर आर्थिक जुर्माना लगाया जाए। तब कही जाकर हम बढ़ते प्रदूषण को कम कर सकते हैं।
-कुशल सिंह राठौड़, कुड़ी भगतासनी, जोधपुर
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नैतिक जिम्मेदारी निभाएं
हमारे देश में भी जिस रफ्तार से प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है, उसके लिए साम, दाम, दंड, भेद की नीति गंभीरता से लागू करने की जरूरत है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए नए कानून की बात की जाए, तो नया कानून भी राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा। बेहतर तो यह है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए सभी राजनेताओं और आम लोगों को निस्वार्थ भाव से काम करना होगा। यदि समय रहते हम नहीं संभले तो वायु प्रदूषण जानलेवा बन जाएगा।
-राजेश कुमार चौहान, जालंधर, पंजाब
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कठोर कानून बनाने की आवश्यकता
शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में भी प्रदूषण की समस्या तेजी से बढ़ रही है। खेतों में पराली जलाने से वायु प्रदूषण असहनीय स्तर तक बढ़ जाता है। हालांकि पराली जलाने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है, लेकिन पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए जुर्माने की रकम व सजा को निर्धारित करने के लिए नया कानून लाने की जरूरत है।
-शिवराज मालव, तालेड़ा, बूंदी
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प्रकृति के प्रति प्रेम का भाव विकसित हो
जांभोजी एवं अमृतादेवी को आदर्श मानकर पर्यावरण को सहेजें। प्राकृतिक संसाधनों का दोहन रोकें। ‘सिर सांठे रूंख बचे तो भी सस्ता जाणÓ जैसे आदर्शों को अपनाएं। औद्योगिक संस्थानों को प्रदूषण नियंत्रण के मानकों की अनुपालना के निर्देश दिए जाएं। नागरिकों में प्रकृति प्रेम की भावना विकसित करें।
-सत्तार खान कायमखानी, नागौर
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मौजूदा कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन हो
प्रदूषण नियंत्रण के लिए मौजूदा कानून का प्रभावी क्रियान्वयन हो। नागरिको में पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा की जाए। नए-नए कानून बनाना समस्या का हल नहीं है, बल्कि वर्तमान कानूनों पर ही सही तरीके से क्रियान्वयन किया जाए।!
-कुमेर मावई नयावास, गुढाचन्द्रजी
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जनता भी जिम्मेदारी समझे
देश में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कानून है। इस कानून को अच्छी तरह से लागू किया जाना चाहिए। साथ ही जनता भी अपनी जिम्मेदारी समझे, तभी प्रदूषण नियंत्रण में कामयाबी मिलेगी।
– विक्रम गर्ग, पिंडवाड़ा, सिरोही
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पटाखों पर निशाना क्यों
प्रदूषण सम्पूर्ण विश्व की एक विकट समस्या है। भारत में दीपावली के दिन चलाए जाने वाले पटाखों पर ही समस्या का ठीकरा फोड़ दिया जाता है। सरकार प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त से सख्त कानून बनाए, पर केवल पटाखो को ही निशाना न बनाएं
-शुभम आजाद, सवाई माधोपुर
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जन जागरूकता भी आवश्यक
शरीर को हवा, पानी और भोजन की जरूरत होती है, लेकिन साफ हवा सबसे अधिक आवश्यक है। प्रकृति ने हमारी जरूरत के हिसाब से पर्याप्त हवा मुफ्त में दी है, लेकिन पीड़ा यह है कि बढ़ते हुए प्रदूषण से अब मानव का दम घुट रहा है। स्वस्थ वातावरण के निर्माण में नए कठोर कानून कारगर सिद्ध हो सकते हंै। कार फ्री दिवस और प्रदूषण टैक्स पर विचार करना चाहिए। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि कोरे कानून से प्रदूषण समस्या से नहीं उबर सकते। इसके लिए जन जागरूकता और वृक्षारोपण की दिशा में अभियान चलाना भी आवश्यक है।
-भगवान प्रसाद गौड़, उदयपुर
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नए कानून की जरूरत नहीं
हमारे देश भारत में प्रदूषण नियंत्रण के लिए नया कानून बनाने की उतनी आवश्यकता नहीं है जितनी वर्तमान में प्रभावशील कानून का कड़ाई से पालन कराने की है। आज प्रदूषण का समूची प्रकृति पर विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
-सुरेश दीवान, रायपुर,छत्तीसगढ़
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प्रदूषण कम करने के लिए तकनीक का सहयोग लें
अधिक जनसंख्या के कारण संसाधनों पर बहुत दबाव है। इसलिए संसाधनों के उत्पादन और उपभोग को कम नहीं किया जा सकता, परन्तु उत्पादन एवं उपभोग में तकनीकी के इस्तेमाल से इसे प्रदूषण कम किया जा सकता है। जनसंख्या नियंत्रण, प्राकृतिक संपदा का विकास एवं अक्षय ऊर्जा पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
-सुरेश कुमार शर्मा, पलसाना, सीकर
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वायु प्रदूषण पर नियंत्रण जरूरी
औद्योगिक प्रदूषण देश में बड़ा मुद्दा है। राजधानी दिल्ली सहित देश के कई शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में हैं। यह एक बड़ा मुद्दा है, जिस पर गंभीरता से ध्यान देना होगा। वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए ठोस काम होना चाहिए।
-नरेश बिश्नोई, हेमागुड़ा, जालौर
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ठोस कदम जरूरी
प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए नए कानून की सख्त जरूरत है। दिनोंदिन बढ़ रहे प्रदूषण से लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। प्रदूषण के कारण लोग अनेक प्रकार की बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए उत्पादन में रसायनयुक्त पदार्थों का प्रयोग कर लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हंै। सरकार को प्रदूषण नियंत्रण के ठोस कदम उठाने ही होंगे।
-हमीर मेघवंश, जोधपुर

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