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जमा पूंजी : दिवंगत का अकाउंट और एटीएम कार्ड

जल्दबाजी में या सिर्फ सुविधा देखने के चलते अनजाने में न कर बैठें कोई अपराध

नई दिल्लीMay 12, 2021 / 11:34 am

विकास गुप्ता

जमा पूंजी : दिवंगत का अकाउंट और एटीएम कार्ड

जमा पूंजी : दिवंगत का अकाउंट और एटीएम कार्ड

असीम त्रिवेदी

बड़ा दुखद है इन मुद्दों पर बात करना, लेकिन वक्त की मांग ही कुछ ऐसी है। पिछले हफ्ते सुरेश जी की असमय मृत्यु हो गई, उनके तीन बच्चे हैं तीनों विवाहित हैं और नौकरी करते है। भाभीजी का फोन आया – बड़े भारी मन से बोलीं, भैया एक दिक्कत हो गई है, बड़े और मझले बेटे में बहस हो गई है, हो सके तो आप समझाइए। मैने बड़े बेटे गौरव से बात की। मामला यह था कि इलाज के दौरान सुरेश जी ने तीन ब्लैंक चेक हस्ताक्षर कर सौरभ (मंझले बेटे) को दिए थे, साथ में एटीएम भी दे दिया था। एटीएम से सौरभ ने इलाज के दौरान पैसे निकाले थे, चेक का उपयोग नहीं हुआ था, बिना तारीख के हस्ताक्षरित चेक अब भी सौरभ के पास थे। बड़े भाई का कहना था चूंकि मां का नाम नामांकिति (नोमिनी) के तौर पर दर्ज है इसलिए अब अकाउंट वे संभालेंगी, जबकि सौरभ बाद में आने वाली दिक्कतों को समझे बिना एटीएम और चेक का इस्तेमाल करने की बात कह रहा था। उसका कहना था कि जटिल प्रक्रिया में कौन पड़े।

मैंने सौरभ को फोन लगाया और कहा – बेटा सिर्फ सुविधा मत देखो, जल्दबाजी मत करो, अनजाने में आपराधिक कृत्य कर बैठोगे। मृतक के एटीएम से उसकी मृत्यु का तथ्य जानते हुए भी पैसे निकालना गैर कानूनी है, और मृत्यु के पश्चात उसके चेक से पैसे निकालना भी। व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात खाते से सारे परिचालन तुरंत बंद करें, बैंक को तुरंत मृत्यु प्रमाण-पत्र के साथ सूचना दें। इस सूचना के बाद बैंक उस खाते को बंद करके नामांकिति के खाते में पूरा पैसा हस्तांतरित कर देगा। फिर नामांकिति उस धनराशि का, यदि वसीयत है तो उस तरीके से और अगर वसीयत नहीं है तो उत्तराधिकार कानून के अनुसार, बंटवारा कर सकता है। प्रक्रिया दो-तीन दिन में ही पूरी हो जाती है, इसी तरह से इस मामले को निपटाएं। सौरभ ने बात समझ ली थी।

ध्यान रखें कानूनी प्रतिनिधियों को मृत्यु की सूचना बैंक को तुरंत देनी चाहिए ताकि मृतक की जमा पूंजी की सुरक्षा हो सके। सूचना मिलते ही बैंक सभी क्लीयरिंग में आए चेक लौटा देता है और डेबिट-क्रेडिट कार्ड ब्लॉक कर देता है। अगर किसी ने मृतक के एटीएम का उपयोग किया और किसी ने इस पर आपत्ति ले ली तो अमानत में खयानत का मामला बन जाएगा। सावधानी रखें।
(लेखक सीए, ऑडिटिंग एंड अकाउंटिंग स्टैंडर्ड व कंपनी मामलों के जानकार हैं)

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