scriptमंथन से कांग्रेस को निकालना होगा ‘अमृत’ | Congress wants a good leaders | Patrika News
ओपिनियन

मंथन से कांग्रेस को निकालना होगा ‘अमृत’

– कांग्रेस के आला नेताओं का हर चुनावी हार पर यही जवाब होता है कि हार-जीत चलती रहती है, अब मजबूती से मुकाबले में उतरेंगे।

नई दिल्लीMay 11, 2021 / 07:18 am

विकास गुप्ता

मंथन से कांग्रेस को निकालना होगा 'अमृत'

मंथन से कांग्रेस को निकालना होगा ‘अमृत’

पहले बिहार और अब पांच राज्यों में चुनावी हार। मंथन तब भी हुआ था कांग्रेस की हार के कारणों पर। कांग्रेस कार्यसमिति ने सोमवार को भी वर्चुअल बैठक में पांच राज्यों में हार के कारणों पर मंथन किया। ऐसे मंथन होने भी चाहिए। लेकिन किसी मंथन से ‘अमृत’ नहीं निकले, तो क्या फायदा? देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस को अब तक के किसी मंथन से ‘संजीवनी’ मिली हो, ऐसा लगा नहीं। कांग्रेस के आला नेताओं का हर चुनावी हार पर यही जवाब होता है कि हार-जीत चलती रहती है, अब मजबूती से मुकाबले में उतरेंगे।

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में हार के कारणों पर विचार करने के साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कार्यक्रम भी तय होना था। कोरोना संक्रमण के चलते अगले माह प्रस्तावित चुनावों को स्थगित करने का फैसला किया गया है। पिछले साल अगस्त के बाद कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव तीसरी बार टले हैं। कांग्रेस को पूरे दो साल बाद पूर्णकालिक अध्यक्ष मिलने की उम्मीद बंधी थी। लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने २ जुलाई २०१९ को कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ा था। काफी मान-मनौव्वल के बाद, सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष बनने को राजी हुईं। कोई पार्टी किसे और कब अध्यक्ष बनाए, यह उसका आंतरिक मसला हो सकता है। बरसों से वंशवाद आधारित पार्टी होने का आरोप झेल रही कांग्रेस के लिए अपने मुखिया का चुनाव चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। हो सकता है कि जब भी चुनाव तय हो, पार्टी फिर से नेतृत्व गांधी-नेहरू परिवार में से ही किसी को सौंप दे। लेकिन, पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र तब ही मजबूत होगा, जब सब-कुछ मनोनयन आधारित न होकर चुनाव प्रक्रिया से ही हो। ऐसा हुआ तो पार्टी ग्रुप-२३ से जुड़े नेताओं से किनारा करने के आरोपों से भी बच सकेगी। हो सकता है कि चुनाव प्रक्रिया में कोई नया नेतृत्व कांग्रेस को संजीवनी देने में कामयाब हो जाए। वैसे भी आंतरिक लोकतंत्र मजबूत हुआ, तो इससे कांग्रेस कमजोर नहीं होने वाली, बल्कि उसे और मजबूती ही मिलेगी।

कार्यसमिति की बैठक में अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने साफ कहा है कि लगातार चुनावी हार के कारण जानते हुए हमें आगे के लिए सबक लेना होगा। सोनिया गांधी की चिंता वाजिब भी है। वह भी ऐसे समय में जब गैर-भाजपा व गैर-कांग्रेस शासित दूसरे राज्यों में क्षेत्रीय दल मजबूत होते जा रहे हैं। देश में मजबूत विपक्ष हो यह भी जरूरी है, क्योंकि कमजोर विपक्ष के रहते सत्ता पर अंकुश लगाना मुश्किल है। बहरहाल, कांग्रेस में नेतृत्व चयन को लेकर टालमटोल व मंथन बैठकों की चिंता अगली बैठकों तक टलती रही, तो पार्टी व लोकतंत्र दोनों के लिए शुभ नहीं।

Home / Prime / Opinion / मंथन से कांग्रेस को निकालना होगा ‘अमृत’

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो