अमरीकी राष्ट्रपति ने अमरीका के राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन की सभा में ‘गन लॉबी’ को खुश करने वाला भाषण देते हुए कहा कि फ्रांस में अगर उदार आयुध नियम होते, तो वर्ष २०१५ में फ्रांस को आतंकी हमला नहीं झेलना पड़ता। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि लंदन में छुरीबाजी की घटनाएं इसलिए होती हैं, क्योंकि वहां लोगों के पास बंदूकें नहीं हैं। चिंता की बात यह है कि जिस देश में बंदूक संस्कृति के कारण प्रति एक लाख की आबादी पर हर वर्ष औसतन २३ से ज्यादा लोग घायल होते हों, औसतन १० से ज्यादा मारे जाते हों, उस देश का राष्ट्रपति दुनिया के अन्य देशों में भी बंदूक संस्कृति को बढ़ावा देना चाहता है?
अमरीका में लगभग हर दूसरे आदमी के पास गन या बंदूक है। जितने लोग हर साल बंदूक की वजह से नरसंहार के शिकार होते हैं, उससे लगभग दोगुने लोग बंदूक की सहज उपलब्धता के कारण आत्महत्या करते हैं। आंकड़े सचमुच भयावह हैं कि पिछले १७ वर्ष में अमरीकी स्कूलों में गन कल्चर की वजह से २२ नरसंहार हो चुके हैं। ऐसा लगता है अमरीकी राष्ट्रपति ने इन दर्दनाक घटनाओं से कोई सबक नहीं सीखा है। हम भारतीय चूंकि अमरीकी संस्कृति से खासे प्रभावित रहते हैं, इसलिए हमें ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। गत दिनों कसौली में अतिक्रमणकारी ने एक अफसर को गोली मार दी। बीती जनवरी में यमुनानगर, हरियाणा में १२वीं के एक छात्र ने प्रिंसिपल को गोली मार दी थी।
इस बढ़ते खतरे को समझना होगा। बंदूकें बेचने की असभ्य पूंजीवादी जद्दोजहद व बर्बर साजिशें अब रुकनी चाहिए। हर देश और समाज को समझना चाहिए कि अब ऐसे अपराध, संघर्ष या युद्ध दुनिया में न हों, जिनसे केवल हथियारों की बिक्री बढ़ती है। हथियारों का बेरोक धंधा या चस्का मानवता के विरुद्ध है। अब समय आ गया है कि अमरीका के हथियार प्रेम पर सभी अमन पसंद देश मिलकर लगाम लगाएं।