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विरासत की हिफाजत

एक भी पर्यटक उस मैट्रो को देखने जयपुर नहीं
आएगा। वह कला के जिस अनूठेपन को देखने आएगा, हम उसे ही नष्ट करने पर तुले
हैं

Apr 20, 2015 / 10:37 pm

शंकर शर्मा

Heritage

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चेन्नई का नगर निगम एक ऎसी शुरूआत कर रहा है जो केवल चेन्नई ही नहीं पूरे देश के लिए उपयोगी हो सकती है। यह शुरूआत है, वहां के प्रसिद्ध मईलापुर मंदिर के आस-पास के क्षेत्र को वाहन मुक्त करने की। सब कुछ ठीक चला तो इस परियोजना पर काम जून में शुरू होगा और इस वर्ष के अंत तक पूरा हो जाएगा।

भले इस परियोजना का विचार उस क्षेत्र में ट्रैफिक की अव्यवस्था को दूर करने अथवा पैदल चलने वालों की सुविधा बढ़ाने के लिए आया हो लेकिन यह तय है कि इसका एक बड़ा लाभ सातवीं शताब्दी में बने उस मंदिर और उसके स्थापत्य को प्रदूषण से बचाने में भी मिलेगा। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि भारत के किसी भी राज्य अथवा किसी भी शहर और कस्बे में चले जाइए, वहां विरासत के एक से एक नायाब उदाहरण मिलेंगे। फिर चाहे वह धर्मस्थलों के रूप में मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे या चर्च हो अथवा फिर बड़े-बडे महल, किले या स्मारक। ताजमहल का उदाहरण तो विश्व के सामने है। भारत आने वाले पर्यटकों का एक बड़ा हिस्सा इसी भारतीय विरासत को देखने आता है। वजह कि उनके यहां की विरासत इतनी समृद्ध नहीं है। फिर भी जो है वे उसे सहेजकर रखते हैं।

पेरिस से लेकर लंदन तक किसी भी शहर में चले जाइए, आपको विरासत के आस-पास वाहन तो दूर उसे नुकसान पहुंचाने वाली कोई चीज नहीं मिलेगी। वही पर्यटक जब भारत आता है तो उसके अनूठेपन पर तो “वाह-वाह” करता है लेकिन उसकी दुर्दशा पर “आह” करके रह जाता है। धुआं उगलते वाहन से लेकर चाट-पकौड़ी के ठेलों तक सब कुछ वहां होता है। वह इस बात को साझा करने में जरा भी नहीं हिचकता कि आखिर आपकी सरकार इसे बचा कर रखने के लिए कोई पुख्ता प्रबंध क्यों नहीं कर रही?

विरासत को बचाना तो दूर हमारे यहां तो सरकारें स्वयं उसे नेस्तनाबूद करने में नहीं चूकती। जयपुर का उदाहरण हमारे सामने हैं जहां मैट्रो के लिए सरकार सैकड़ों साल पुरानी सरगासूली, हवामहल और चौपड़ों के बर्बाद होने का खतरा उठाने को तैयार है। दुनिया के हर विकसित देश में मैट्रो है।

वहां का एक भी पर्यटक उस मैट्रो को देखने जयपुर नहीं आएगा। वह कला के जिस अनूठेपन को देखने आएगा, हम उसे ही नष्ट करने पर तुले हैं। यह कहानी अकेले जयपुर की नहीं देश के हर राज्य और हर विरासत की है। हम उनके लिए बजट अरबों रूपए के बनाते हैं लेकिन उसका ज्यादातर हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। जरूरत इस बात की है कि चेन्नई जैसे प्रयास पूरे देश में हों और हर जगह विरासत को हर तरह के प्रदूषण से बचाने की कोशिश हो। तभी हम और हमारी विरासत बचेगी और तभी पर्यटक आएंगे।


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