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कृत्रिम बुद्धि के समक्ष खतरे में मानवीय बुद्धि

सामयिक: मानव और मानवीय जीवन का सौंदर्यशास्त्र कृत्रिम बुद्धि निरूपित तो कर सकती है, नया नहीं रच सकती

Dec 22, 2023 / 11:25 pm

Nitin Kumar

कृत्रिम बुद्धि के समक्ष खतरे में मानवीय बुद्धि

कृत्रिम बुद्धि के समक्ष खतरे में मानवीय बुद्धि

नवनीत शर्मा
हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में अध्यापनरत
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इस चराचर जगत में भौतिक पदार्थों से इतर यदि कुछ सबसे ज्यादा चलायमान है तो वह है बुद्धि। दर्शन और विचारों की ऐतिहासिक शृंखला ने बुद्धि को मानवीय और ईश्वरीय बुद्धि में विभाजित किया है। मानवीय बुद्धि संसार को समझने का प्रयास करती है और ईश्वरीय बुद्धि संसार को निर्मित करती है। मानवीय बुद्धि सहज ही परिवर्तनशील है, ईश्वरीय बुद्धि को चिरस्थायी माना गया है। मानवीय बुद्धि ईश्वर को बूझने का प्रयास करती है। ईश्वरीय बुद्धि से कोई मनुष्य अबूझ नहीं होता एवं सदैव उसके ध्यानस्थ रहता है।
21वीं सदी के आरंभ में कृत्रिम बुद्धि का आविर्भाव होता है। यह एक भिन्न प्रश्न है कि कृत्रिम बुद्धि का श्रेय किसे दिया जाए, मानवीय बुद्धि को या ईश्वरीय बुद्धि को, जिसने मानवीय बुद्धि को प्रेरित किया कि कृत्रिम बुद्धि को रचा जाए। कृत्रिम बुद्धि के बनते ही यह सवाल बदल गया और पूछा जाने लगा कि क्या मानवीय बुद्धि कृत्रिम बुद्धि की भांति ही काम करती है और क्या ईश्वरीय बुद्धि, कृत्रिम बुद्धि की भांति ही सुनियोजित है। एकाएक कृत्रिम बुद्धि हमारे रोजमर्रा के जीवन में हस्तक्षेप ही नहीं, बल्कि वर्चस्व स्थापित करने लगी। आज आप एक किस्म का गीत या संगीत सुने, कृत्रिम बुद्धि उसी जैसे गानों की कतार पेश कर देगी या फिर आप किसी स्थान को जानकारी हेतु ‘सर्च’ कर लें, अगले दिन से कृत्रिम बुद्धि आपको वहां पहुंचने के तरीके और रहने को होटल दर्शाने लगेगी। इन सबसे विकट अब तो कृत्रिम बुद्धि के अनुरूप आप किसी की आवाज में सारे स्वर-व्यंजन यदि रिकॉर्ड कर दें तो कृत्रिम बुद्धि इस आवाज में कोई भी गायकी प्रस्तुत कर सकती है, तो अब किसी गायक की आवाज को ‘ईश्वरीय प्रदत्त वरदान’ कहने में भी संकोच है।
शिक्षा और शोध के क्षेत्र में ऐसे कुछ सॉफ्टवेयर आ गए हैं जो शिक्षक और शोधकर्ता दोनों को विस्थापित करने का दावा करते हैं। ऐसे सॉफ्टवेयर के बरक्स मौलिकता और नूतनता जैसे विचारों का क्या होगा, क्या नवाचार नए सॉफ्टवेयर के आविष्कार तक सीमित होकर रह जाएगा या नया सॉफ्टवेयर बनाने की जिम्मेदारी भी कृत्रिम बुद्धि को आउटसोर्स कर दी जाएगी। व्यक्ति की जानने हेतु उत्सुकता और उत्कंठा और तत्पश्चात उसके उत्तर की तलाश का समय जैसे विलुप्त हो गया है। आप क्या जानें, कैसे जानें और कितना जानें, कृत्रिम बुद्धि उसे सुनिश्चित करने लगी है। आप फोन पर ‘स्क्रॉल’ (स्क्रीन पर उंगली फेरने का क्रम) करते हुए किस वीडियो, विचार या विचारधारा को अधिक समय देते हैं, कृत्रिम बुद्धि उसी अनुरूप आपको ‘फीड’ (जबरन खिलाना या ठूंसना) करना आरंभ कर देती है। ‘अन्य’ से परिचित होने की तमाम संभावनाएं खत्म कर देती है, ‘चैट जीपीटी व गूगल’ के सहारे हम सबको विद्वान होने का मतिभ्रम देती है व साथ ही अन्य के मतिहीन होने का भी।
कृत्रिम बुद्धि हमेशा ही गणितीय रूपरेखा में सोचेगी और कथ्य या महाकथ्य निर्मित नहीं करेगी। मानव और मानवीय जीवन का सौंदर्यशास्त्र कृत्रिम बुद्धि निरूपित तो कर सकती है, नया नहीं रच सकती। पर कल्पनात्मक विज्ञान के उदाहरणस्वरूप रजनीकांत के नायकत्व वाला ‘रोबोट’ उसे पार करने की संभावना रखता है या नहीं, केवल विज्ञान ही नहीं बल्कि समाज विज्ञान के लिए भी चिंता का विषय है। जैसे कृत्रिम गर्भाधान के लिए वरीयता लम्बे, गौर वर्णी और चौड़े कंधे वाले पुरुष को दिए जाने से मानव जाति का वैविध्य समाप्त हो एक निश्चित तरह की प्रजाति अनुवांशिकी का वर्चस्व स्थापित होगा, उसी तरह कृत्रिम बुद्धि एक ही तरह के ज्ञान, विचार और दर्शन का वर्चस्व स्थापित करेगी, और लियोतार्द की यह भविष्यवाणी कि जो ज्ञान कंप्यूटर की भाषा में अनूदित नहीं हो पाएगा वह ज्ञान होने का दर्जा और वैधता दोनों को खो देगा, कृत्रिम बुद्धि के युग में सत्य होता प्रतीत हो रहा है।
उत्तरआधुनिकता के इस विमर्श में फोन या टीवी की नीली रोशनी हमें लील चुकी है। कृत्रिम बुद्धि के समक्ष मानवीय बुद्धि खतरे में और ईश्वरीय बुद्धि शीत निद्रा में है। मानवीय बुद्धि, ईश्वरीय बुद्धि व कृत्रिम बुद्धि में अंतर बनाए रखना हमारी-आपकी अनिवार्यता है या हमारे बच्चे दलहन और तिलहन के अंतर के पहले कोडिंग सीखना शुरू कर देंगे। किताबों मे रखे फूल और मोरपंख इतनी भी बुरी स्थिति नहीं थी, जितनी किंडल के सहारे उन शब्दों और भावों को छू पाने की असम्भावना। कृत्रिम बुद्धि के लिए नियम एवं नियामन आवश्यक है और रचे भी जा रहे हैं पर यह उस सशंका को ही गहरा करते हैं जिसमें मानवीय बुद्धि खुद से विरचित कृत्रिम बुद्धि के भस्मासुर से भयाक्रांत है।

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