विज्ञान इस बात को मानता है कि स्वभाव मुख्य रूप से दो बातों से प्रभावित होता है। पहली आनुवंशिकता और दूसरी संगति। आनुवंशिक गुण-दोषों से स्वभाव प्रभावित होता है, पर उससे ज्यादा जिस वातावरण में व्यक्ति रहता है, वैसा ही उसका स्वभाव हो जाता है। कुरल काव्य में लिखा है कि लोगों का यह भ्रम पूर्ण विश्वास है कि स्वभाव मन में रहता है, बल्कि उसका वास्तविक स्वभाव उसकी गोष्ठी में रहता है।
इंसान जैसे लोगों के बीच रहता है, उसका भाव, उसका विचार, उसका व्यवहार और उसका चरित्र सब वैसा ही हो जाता है। स्वभाव तो पानी की तरह होता है, उसे जैसी संगति मिल जाती है, उसका रंग उसी तरह से हो जाता है। कहा भी गया है- ‘जैसी संगत, वैसी रंगत’।